कहीं एल्युमिनियम बर्तन हमारे लिए ‘साइलेंट किलर’ तो नहीं? जानें सच

Bखाना और खाना बनाना दोनों ही महत्वपूर्ण हैं. अपनी जीवनशैली को स्वस्थ्य रूप से चलाने के लिए खाना बहुत जरूरी है. खाना भी कैसा एक आहारयुक्त पौष्टिक खाना. ये आपको दो तरह से मिलता है. 1. हम क्या खा रहें हैं. 2. हम कैसे और किस में बना रहें हैं. जी हां.. आपका ये जानना बहुत जरूरी है की आप खाना किस में बना रहें हैं. क्योंकि आप आपने दैनिक जीवन में ये गलती रोज करते है , बिना इसके दुष्परिणाम को जाने.

खाना पकाने में आज सबसे ज्यादा पीतल, काँसा, चाँदी, लोहा, एल्युमीनियम, स्टील और नॉन-स्टिक कुकवेयर का उपयोग होता है. इन सभी बर्तनों में खाना पकाने के कुछ अपने फायदे और नुकसान है लेकिन एल्युमीनियम के बर्तन में खाना पकाना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है. इसमें बना खाना स्वास्थ्यवर्धक नहीं हैं बल्कि नुकसानदायक ही है. वो कैसे आइए जानते हैं इसका सच…

एल्युमीनियम के बर्तन से शरीर को ये नुकसान 

एल्युमीनियम बर्तन की पहुँच आज सभी रसोई घरों में अधिक मात्रा में है. एल्युमीनियम बर्तन का उपयोग सबसे अधिक इन दो कारणों की वजह से होता है पहला- इनमें भोजन जल्दी पकता है और दूसरा- यह बर्तन अन्य बर्तनों की तुलना में सस्ते होते है. एल्युमीनियम एक प्रकार का भारी धातु होता है जो बाक्साइट धातु से बनता है. जिस तरह शरीर से दूसरे विषाक्त पदार्थ हमारे शरीर से मल-मूत्र के द्वारा निकल जाते है उस तरह एल्युमीनियम के कण शरीर से निकलते नहीं हैं बल्कि पेट में इस तरह से जमा होने लगते है की शरीर की कार्य प्रणाली को ही बिगाड़ देते है.

लंबे समय तक अगर इन बर्तनों में बना खाना खाया जाए तो यह धातु लीवर और नर्वस सिस्टम में इस तरह से समा जाता है की लोगों को बीमारियाँ सौगात में मिलने लगती है लेकिन ज्यादातर लोगों को तब भी पता नहीं चल पाता की यह सब कैसे हुआ.

कैसे घुलता है एल्युमीनियम खाने में

एल्युमीनियम नमक और एसिड के संपर्क में आते ही पिघलने लगता है और इसके कण भोजन में बड़ी सरलता से मिल जाते है क्योंकि एल्युमीनियम एसीडिक फुड के साथ रिएक्शन करता है और अत्यधिक प्रतिक्रियाशील होने के कारण यह भोजन के द्वारा शरीर में प्रवेश कर लेता है. भोजन में जो भी आयरन और कैल्शियम की मात्रा होती है उसे एल्युमीनियम बड़ी आसानी से अब्जॉर्ब कर लेता है जो हड्डियों की सभी बीमारी का मुख्य कारण बनता है..

वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार एल्युमीनियम बर्तनों के रोजाना इस्तेमाल से लैड और कैडमियम एक्सपोजर होता है जिससे बच्चों का आईक्यू लेवल कम होता है परफॉर्मेंस घटती जाती है और कई दिमागी रोग का खतरा भी बन जाता है.

ऐसे आया था देश में एल्युमिनियम

हमारे देश में एल्युमिनियम के बर्तन 100-200 साल पहले ही ही आये है. उससे पहले धातुओं में पीतल, काँसा, चाँदी के बर्तन ही चला करते थे और बाकी मिट्टी के बर्तन चलते थे. अंग्रेजो ने जेलों में कैदियों के लिए एल्युमिनियम के बर्तन शुरू किए क्योंकि उसमें से धीरे धीरे जहर हमारे शारीर में जाता है.. एल्युमिनियम के बर्तन के उपयोग से कई तरह के गंभीर रोग होते है. जैसे अस्थमा, बात रोग, टी बी, शुगर, दमा आदि. पुराने समय में काँसा और पीतल के बर्तन होते थे जो जो स्वास्थ के लिए अच्छे माने जाते है. हमारे पुराने वैज्ञानिकों को मालूम था की एल्युमिनिय बोक्साईट से बनता है और भारत में इसकी भरपूर खदाने हैं, फिर भी उन्होंने एल्युमिनियम के बर्तन नहीं बनाये क्योंकि यह भोजन बनाने और खाना खाने के लिए सबसे घटिया धातु है. ये कहा गया है की अंग्रेजों ने भगत सिंह, उधम सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसे जितने भी क्रांतिकारियों को अंग्रेजो ने जेल में डाला. उन सबको जानबुझ कर ऐलुमिनियम के पात्रो में खाना दिया जाता था, ताकि वे जल्दी मर जायें.

तो एल्युमीनियम के बर्तन में खाना पकाने से अच्छा है आप लौहे के बर्तन में खाना बनाए जो आयरन से भरपूर भोजन होगा. लौहे के बर्तन में भोजन बनाते वक्त किसी भी तरह की खट्टाई का प्रयोग ना करे. लेकिन हाँ सफाई सभी बर्तनों की प्राथमिकता है. स्टेनलेस स्टील या स्टील के बर्तनों का चुनाव भी सुरक्षित है.

– कविता सक्सेना श्रीवास्तव

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com