वैशाख अमावस्या को भीम अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन पितरों को तर्पण देने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्राद्ध कर्म करने से भटकती हुई आत्मा को परमधाम की प्राप्ति होती है।
गरुड़ पुराण में श्राद्ध कर्म का उल्लेख किया गया है। इस पुराण में कहा गया है कि जो जस करहिं सो तस फल चाखा। अर्थात यहां पर कर्म को प्रधान बताया गया है जो जैसा कर्म करेगा उसको वैसे ही फल की प्राप्ति होगी।
कर्मों से मिलता है फल
गरुण पुराण में उल्लेख किया गया है की कर्मों के हिसाब से ही मनुष्य को उसका फल मिलता है। मृत्यु लोक में कर्म को ही देवता और कर्म को ही सर्वे सर्वा कहा गया है। कर्म से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है और कर्म से ही नरक को प्राप्त होते हैं। एक कर्म ही है जो मीरा को श्री कृष्ण के दर्शन करवाते हैं और यह कर्म ही हैं जो विदुर का साग श्री कृष्ण को खाने को मजबूर करते हैं। व्यक्ति अपने कर्मों से ही बड़ा और छोटा होता है।
दान धर्म से होती है मोक्ष की प्राप्ति
वैशाख अमावस्या या भीम अमावस्या के दिन अगर कोई भी व्यक्ति दान दक्षिणा करता है और किसी भूखे को भोजन कर आता है तो समस्त यज्ञों का फल उस व्यक्ति को प्राप्त होता है। दान धर्म हमारे पूर्वजों का दिया हुआ वरदान कहें या संस्कार। हमेशा संस्कार हमारी भारतीय संस्कृति में व्याप्त है जिसके तहत हम लोगों की सहायता को दान दक्षिणा के माध्यम से पहुंचाते हैं और करते हैं उनका अभिवादन।
जीवन में परोपकार से बढ़कर कुछ नहीं होता।
गंगा स्नान के बाद करें दान
वैशाख अमावस्या को सत्तू अमावस्या भी कहा जाता है इस दिन सत्तू की पूजा होती है और ब्रह्मणों को सत्तू खिलाकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। सत्तू का दान करने से समस्त पापों का नाश होता है। दान दक्षिणा करने से पूर्व प्रातः गंगा स्नान जरूर करें जिससे माता गंगा आपके हृदय को पवित्र करती हुई दान धर्म के कार्यों में आपकी सहभागिता निभा सकें।
आज के दिन भूखे को कराया भोजन
भीम अमावस्या वैशाख अमावस्या के दिन किसी भूखे को भोजन खिलाने से सारे मनोरथ की सिद्धि होती है आत्म शांति मिलती है और आप के ग्रह नक्षत्र भी मजबूत होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन दान दक्षिणा और परोपकार करने से समस्त फलों का योग बनता है और आज के दिन किसी ने अगर अहम पूर्वक दान किया है तो उसका फल नहीं बल्कि उसका हानि भी आपको प्राप्त होता है। तो इसलिए जो भी आज कार्य करें श्रद्धा पूर्वक और मन पवित्र करके ही करें किसी भी तरह का कोई भी छलावा या अहम बिल्कुल भी ना हो।