परीक्षा में सफलता पाने के लिए दिशाओं का ज्ञान होना बहुत जरूरी होता है। अगर आपको दिशाओं का ज्ञान नहीं है तो आप का याद किया हुआ सब ऊपर से निकल जाएगा। अगर आप गलत दिशा में पढ़ाई कर रहे हैं तो यह कई सारे नकारात्मक ऊर्जा को न्योता देता है और आपका पढ़ाई में मन नहीं लगता है। अगर आप चाहते हैं कि आपके परीक्षा में अच्छे नंबर आए तो दिशाओं का ज्ञान जरूरी है और वास्तु शास्त्र के अनुसार पढ़ाई करते समय दिशाओं की सही जानकारी होनी बहुत जरूरी है।
चलिए जानते हैं दिशाओं के बारे में।
पश्चिमी वायव्य
स्टडी करने के लिए पश्चिमी वायव्य दिशा और पश्चिम और उत्तर पश्चिम दिशा में यश के मध्य इस दिशा में पढ़ाई नहीं करना चाहिए क्योंकि यह पढ़ाई के लिए बिल्कुल प्रतिकूल स्थान माना जाता है। अगर इस दिशा में छात्र पढ़ाई करता है तो उसके अवसाद होने के कारण भी सामने आ सकते हैं तनाव बढ़ सकता है मानसिक अशांति भी उस छात्र को फेस करनी पड़ सकती है। इस दिशा में वह कोई कार्य ना करें जिससे कि आपको लंबे समय तक बैठना पड़े या वहां कोई कार्य करना पड़े इसके लिए जरूरी है कि आप इस दिशा को नजरअंदाज करें। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह दिशा प्रतिकूल मानी जाती है ऐसे में छात्र का पढ़ाई में मन नहीं लगता है।
दक्षिणी नैरित्य दिशा
दक्षिणी नैरित्य दिशा यह दिशा दक्षिण और दक्षिण पश्चिम दिशा के मध्य में स्थित है। इस दिशा में बैठकर पढ़ाई करने से इसका गहरा प्रभाव पड़ता है और इसका प्रभाव आपके परीक्षाओं में पड़ता है। आप ज्यादा से ज्यादा मार्क्स लाने की तैयारी करते हैं लेकिन इस दिशा में पढ़ाई करने से वह मार्क्स आपको नहीं प्राप्त होते हैं। हालांकि वह इस दिशा में पढ़ाई करने से व्यक्ति अत्यधिक मेहनत भी करता है और इसके बावजूद भी अच्छे मार्क्स लाने के चक्कर में उसे उतनी सफलता हासिल नहीं होती है। इसीलिए इस दिशा में कोई भी आप अपनी अध्ययन सामग्री रखने से बचें।
पूर्वी आग्नेय दिशा
पूर्वी आग्नेय दिशा दक्षिण पूर्व दिशा के मध्य में पाई जाती है। या निशा पश्चिमी वायव्य दिशा और दक्षिणी नैरित्य दिशा की अपेक्षा अच्छी मानी जाती है। इस दिशा में पढ़ाई करने से छात्र का मन भी लगता है और वह अच्छे नंबर भी लाता है। लेकिन इससे भी अच्छा नहीं माना जा सकता। पूर्वी आग्नेय दिशा में स्टडी रूम होने से छात्र अत्यधिक पढ़ाई करने लगता है और उस पर विश्लेषण करने लगता है जिससे कार्य समय पर नहीं हो पाता और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।