किरण मोरे ने 10 दिनों तक सौरव गांगुली को मनाया, तब बने  टीम का हिस्सा धोनी

आईपीएल स्थगित होने के बाद अब उसके बचे हुए 31 मैचों के जल्द ही होने का ऐलान कर दिया गया है। बता दें कि इस बीच खिलाड़ियों को लेकर उनकी कई कहानियां सोशल मीडिया पर गोते खाती रहती हैं। अब पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी की एक कहानी भी सामने आई है।

बता दें कि धोनी ने सौरव गांगुली की कप्तानी वाली टीम इंडिया में अपना क्रिकेट डेब्यू बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज किया था। तो चलिए आज आपको बताते हैं धोनी को टीम में लेने के लिए आखिर क्या-क्या अड़चन सामने आई थीं।

चयनकर्ता किरण मोरे ने पहचाना था धोनी का हुनर

पूर्वी भारतीय चयनकर्ता किरण मोरे ने टीम में धोनी के डेब्यू को लेकर एक खुलासा किया है। उन्होंने एक बातचीत के दौरान बताया है कि कैसे किरण की वजह से धोनी का टीम में सिलेक्शन हुआ था। दरअसल उस वक्त भारतीय टीम के कप्तान सौरव गांगुली थे और दादा को धोनी बतौर खिलाड़ी कुछ खास पसंद नहीं थे। उस वक्त चयनकर्ता किरण मोरे ने ही गांगुली को टीम में धोनी के चयन के लिए मनाया था।

ऐसा खिलाड़ी ढूंढ रहे थे जो राहुल द्रविड़ की कमी को पूरा कर सके

पूर्व खिलाड़ी और चयनकर्ता मोरे के मुताबिक वो उस वक्त टीम के लिए आक्रामक विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश में थे जो राहुल द्रविड़ की भरपाई को पूरा कर सके। जब धोनी को मोरे ने देखा तब उनकी तलाश खत्म हुई। मोरे ने ही राष्ट्रीय स्तर पर धोनी के हुनर की पहचान की थी। मोरे ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘हमें विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश थी जो बदलते क्रिकेट फार्मैट को आसानी से समझ ले और हिट करने में ज्यादा विश्वास रखे। हमें कोई ऐसा खिलाड़ी चाहिए था जो 6ठे या 7वें नंबर पर उतर कर तेजी से 40-50 रन बना सके। दरअसल राहुल द्रविड़ ने विकेटकीपर के रूप में 75 वनडे मैच खेले हैं। साल 2003 में उन्होंने विश्वकप में भी खेला है।’

10 दिनों तक मोरे ने गांगुली को धोनी के लिए मनाया

मोरे की मानें तो ईस्ट जोन के लिए दीपदास गुप्ता विकेटकीपिंग करते थे जिन्होंने भारतीय टीम में डेब्यू कर भी लिया था। हालांकि बाद में उन्हें रिप्लेस करके फाइनल में धोनी को विकेटकीपिंग करने का मौका दिया गया। इसके लिए मोरे ने गांगुली को करीब 10 दिनों तक मनाया और धोनी की सिफारिश की थी। मोरे ने आगे बताया, ‘हम चाहते थे कि धोनी ही फाइनल में विकेटकीपर के रूप में खेलें। उस वक्त गांगुली को मनाने के चक्कर में मेरी उनसे और दीपदास गुप्ता से बहस भी हो गई थी। दीपदास गुप्ता ने भारतीय टीम के लिए भी खेला है और कोलकाता टीम के लिए भी। तब मुझे धोनी को टीम का विकेटकीपर बनाने के लिए गांगुली को 10 दिनों तक मनाना पड़ा था।’

ऋषभ वर्मा

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