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इस साल अच्छे मानसून का खेती पर दिखेगा असर, सुधर सकती है स्थिति

इस साल भले ही केरल में मानसून समय से तीन दिन देर से आया हो लेकिन बारिश में कमी नहीं रहेगी। कोरोना संकट के बाद अर्थव्यवस्था के लिहाज से बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे देश को मानसून में होने वाली बारिश से उम्मीद है। मौसम विभाग अनुमान जता रहा है कि इस बार काफी अच्छी बारिश होगी जिसका असर खेती पर दिखेगा। फसलों को अच्छा फायदा पहुंचने वाला है। विभाग के अनुसार 98 फीसद औसत बारिश का अनुमान है जो काफी लंबी चलेगी और यह अनुमान और बढ़ सकता है। तेज और भारी बारिश की जगह अगर सामान्य बारिश होती है तो यह खेती के लिए वाकई अच्छी बात है।

असर दिखना शुरू
इस बार गर्मी में भी ज्यादा तापमान की बढ़ोतरी नहीं हुई। दो चक्रवात तूफानों का असर देश के लगभग हर हिस्से में दिखा है। भले ही वह किसी समुद्र से न जुड़े हो लेकिन बादलों की घेराबंदी ने तूफान के अहसास को बनाए रखा। जून में भी ज्यादा तापमान बढ़ोतरी के असर नहीं दिख रहे हैं और उसके बाद पूर्वी और उत्तरी भारत में भी जुलाई से पहले ही मानसून दस्तक देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की रिपोर्ट की माने तो

मानसूनी सीजन (जून से सितंबर) के दौरान बारिश दीर्घावधि औसत (एलपीए) के 98 प्रतिशत होने की संभावना है। इस वर्ष के मानसून के मौसम में सामान्य या उससे अधिक वर्षा होने की संभावना 61 प्रतिशत है। मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि सामान्य मानसून वास्तव में अच्छा कृषि उत्पादन करने में मदद करेगा। इस वर्ष के लिए अल नीनो घटना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है, लेकिन संभावना बहुत कम है। इस वर्ष के बाद, केवल दो बार हमने एक अल नीनो देखा है। इससे पहले 14-14 देखे गए हैं।

कुछ राज्यों में कम बारिश का अनुमान
देश के अधिकांश क्षेत्रों अच्छी बारिश होगी लेकिन देश के पूर्व और उत्तरपूर्वी हिस्सों में थोड़ी कमी देखी जा सकती है। मौसम विभाग के अनुसार, ओडिशा, झारखंड, बिहार, असम और मेघालय में इस साल कमी देखी जा सकती है। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश समेत कई इलाकों में पानी का संकट गहरा चुका है। दीर्घावधि तक अगर बारिश हुई तो पानी का संकट भी इन इलाकों में कम होगा।

बाढ़ प्रभावित जगह फसलों को नुकसान
बारिश के साथ कई राज्यों मेंं बाढ़ का संकट भी है। इससे कई लाख टन फसल के नुकसान का अंदेशा है। उत्तर प्रदेश में करीब 7.336 लाख हैक्टेयर, बिहार में 4.26 लाख, पंजाब में 3.7 लाख, राजस्थान में 3.26 लाख, असम 3.15 लाख, बंगाल 2.65 लाख, उड़ीसा का 1.4 लाख और आंध्र प्रदेश का 1.39 लाख, केरल का 0.87 लाख, तमिलनाडु का 0.45 लाख, त्रिपुरा 0.33 लाख, मध्यप्रदेश का 0.26 लाख हैक्टेयर का क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित होता है। इससे इन क्षेत्रों में फसलों को नुकसान पहुंचने का अंदेशा है।

खरीफ के अच्छे उत्पादन की उम्मीद
भारत में खेती बारिश पर आधारित है तो यहां मानसून आने के साथ ही खरीफ की फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है। और इस बार अगर अच्छी बारिश का अनुमान सही होता है तो इस बार खरीफ का उत्पादन अच्छा होगा। केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई, 2021-जून, 2022) के खरीफ सीजन में रिकॉर्ड 10.43 करोड़ टन चावल उत्पादन का लक्ष्य रखा है। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, पिछले खरीफ सत्र में 10.26 करोड़ टन के लक्ष्य के मुकाबले चावल का उत्पादन 10.37 करोड़ टन रहा। कोरोना संक्रमण के बीच बारिश से होने वाली अच्छी पैदावार काफी राहत का काम करेगी। लगातार बीते दो साल से कमजोर मानसून ने काफी तंग किया था। अब औसत से बेहतर बारिश उनकी उम्मीदों को बढ़ा रहा है कि वह खरीफ सीजन में अच्छी पैदावार करके बीते दो साल के अपने नुकसान की भरपाई कर पाएंगे।

पिछले पांच सालों में बारिश
2016 में 106 प्रतिशत बारिश का अनुमान था जबकि हुई 97 प्रतिशत। इसी तरह 2017 में 96 प्रतिशत के मुकाबले 95 प्रतिशत, 2018 में 97 प्रतिशत के मुकाबले 91 प्रतिशत, 2019 में 96 प्रतिशत के मुकाबले 110 प्रतिशत और 2020 में 100 प्रतिशत के मुकाबले 107 प्रतिशत बारिश हुई।

GB Singh

 

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