ओलंपिक हर चार साल में एक बार आता है। ओलंपिक को खेलों का महाकुंभ भी कहा जा सकता है। इसमें कई सारे खेलों का आयोजन होता है और हर साल बहुत से देशों के प्रतिभागी इसका हिस्सा बनते हैं। इसमें भारत भी खेल की कई कैटेगरी में हिस्सा लेता है। भारत के लिए भाला फेंक प्रतियोगिता में एथलीट नीरज चोपड़ा का नाम अहम है।
वे कुछ दिनों से विदेश में रह कर ही अपनी ट्रेनिंग ले रहे हैं। उन्होंने काफी लंबे समय से किसी इंटरनेशनल प्रतियोगिता में भागीदारी नहीं की है। नीरज ने अपने कोच को लेकर कुछ अहम खुलासे किए हैं। तो चलिए जानते हैं कि उन्होंने क्या कहा।
लिस्बन में 83.81 मी. भाला फेंक कर अपने नाम की जीत
नीरज ने लिस्बन में 83.81 मीटर तक भाला फेंक कर जीत का ताज अपने सिर पर रखा था। बता दें भाला फेंकने के लिए 6 मौके दिए जाते हैं और जो प्लेयर का बेस्ट थ्रो होता है उसे ही फाइनल थ्रो के रूप में दर्ज किया जाता है। नीरज ने वहां पर पहले प्रयास में 80.71 मीटर तक भाला फेंका था। वहीं छठे और आखिरी प्रयास में उन्होंने 83.18 मीटर तक भाला फेंक दिया था। खास बात ये रही कि नीरज के इस प्रदर्शन पर लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया था। लोगों का मानना है कि ये उनका बेस्ट परफार्मेंस नहीं था।
दुनिया के 8-9 खिलाड़ी ही करते हैं 85 मी. से आगे थ्रो
बता दें ओलंपिक की तैयारियां जोरों पर हैं। ऐसे में नीरज चोपड़ा ने कुछ अहम खुलासे किये हैं। उनके मुताबिक दुनिया में 7-8 एथलीट ही ऐसे हैं जो जेवलिन थ्रो में 85 मीटर से आगे थ्रो करते हैं। हालांकि नीरज भी एक बेहतरीन जेवलिन थ्रो एथलीट हैं पर ऐसे में पदक किस खिलाड़ी व देश के नाम होगा, ये कह पाना जरा मुश्किल है।
इस वजह से कोच ने 100 फीसद न देने को कहा
नीरज ने खुलासा किया कि मीटिंग के दौरान कोच ने उनसे लिस्बोए टूर्नामेंट में एक चौंकाने वाली बात कही थी। उन्होंने नीरज से कहा था कि वो खेल में अपना 100 फीसद न दें। दरअसल नीरज ने बताया था कि उनके कोच का मानना था कि जिस फील्ड पर थ्रो करना है वो कुछ खास मजबूत नहीं है इसलिए नीरज को अपना 100 फीसद नहीं देना चाहिए। नीरज ने कहा कि इस टूर्नामेंट को मैंने एक प्रैक्टिस के नजरिए से खेला था। हालांकि आने वाले सप्ताह में स्वीडन में एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता होनी है जिसमें वो अपना पूरा 100 प्रतिशत देंगे।
ऋषभ वर्मा
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