हिन्दु धर्म में ज्येष्ठ मास के मंगल का बड़ा महत्व है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तो इस दिन मंदिरों में भंडारे और विषेश पूजा के आयोजन होते हैं। ज्येष्ठ माह, जिसे आम बोलचाल की भाषा में जेठ भी कहते हैं, वो 24 जून को पड़ने वाली पूर्णिमा को समाप्त होने वाला है। इससे पहले 22 जून को जेठ का चौथा और आखिरी बड़ा मंगल होगा। इस साल के आखिरी बड़े मंगल को दो बेहद अहम संयोग बन रहे हैं। इनमें से एक है भौम प्रदोष और दूसरा त्रिपुष्कर योग है। आइए जानते हैं इन दोनों संयोगों और इनके महत्व के बारे में।
क्या है भौम प्रदोष
प्रत्येक हिंदी माह के दोनों पक्षों में प्रदोष व्रत होता है। प्रदोष तिथि त्रयोदशी तिथि को कहते हैं। मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष कहते हैं। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। मंगलवार का दिन होने और ज्येष्ठ माह होने से इस दिन हनुमान जी की पूजा का अत्यधिक महत्व है। इसके साथ ही हनुमान जी को रुद्रावतार भी माना जाता है। इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। भौम प्रदोष व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही बीमारियों और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।
जानिए त्रिपुष्कर योग का महत्व
जैसा कि नाम से ही समझ में आता है कि यह तीन के अंक से संबंधित है। मान्यता है कि त्रिपुष्कर योग में जो भी काम किया जाता है उसका तीन गुना फल मिलता है। जिस तरह द्विपुष्कर योग में किया गया कोर्इ भी काम दो बार करना पड़ता है उसी तरह त्रिपुष्कर योग में जो भी आप करेंगे उसे तीन बार करना पड़ सकता है। वह काम चाहे शुभ हो या अशुभ। इस दिन संपत्ति, आभूषण, कपड़े और गाड़ी खरीदने जैसे काम करना शुभ होता है।
इसी माह में मिला था हनुमान जी को अमरता का वरदान
हनुमान जी को कलियुग के साक्षात देवता कहा जाता है। रुद्रावतार महाबली हनुमान प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त भी हैं। मान्यता है कि भगवान शिव और श्री राम ने हनुमान जी को ज्येष्ठ माह में उनकी विशेष पूजा का आर्शीवाद दिया था। यह भी मान्यता है कि इसी माह के पहले मंगलवार को उन्हें अमरत्व का वरदान मिला था। इसी कारण ज्येष्ठ माह के मंगल को बड़ा मंगल भी कहते हैं।
लखनऊ में है बड़े मंगल की विशेष मान्यता
लखनऊ में बड़े मंगल को त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यहां के छोटे-बड़े सभी हनुमान मंदिरों में सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और हनुमान-अष्टक का पाठ किया जाता है। साथ ही भंडारे के आयोजन की भी परंपरा है। भंडारे में आलू-पूड़ी, छोला-चावल, बूंदी का मिष्ठान और शरबत वितरित किया जाता है। इस दिन हनुमान जी को वस्त्र और तेल-सिंदूर भी चढ़ाया जाता है। लखनऊ में ज्येष्ठ के बड़े मंगल को मंदिर आधी रात से खुल जाता हैं और पूरे दिन भक्त बजरंग बली के दर्शन करते हैं।
अपराजिता श्रीवास्तव