मिल्खा सिंह की हड्डियों में थे असाधारण तत्व
91 साल के मिल्खा सिंह जब पंचतत्व में विलीन हुए तो तो उनकी अस्थियों में हड्डियां दिखाई पड़ी थीं। हालांकि श्मशान घाट के पंडितों के मुताबिक जब कोई पंचतत्व में विलीन होता है तो उसकी हड्डियों का चूरा हो जाता है पर मिल्खा सिंह के घुटनों, हाथों व अन्य कई जगहों की हड्डियों का चूरा नहीं हुआ। वे इतनी मजबूत थीं कि आग से जलने के बाद उसमें पीलापन भी नहीं दिख रहा था। ऋषभ शर्मा नाम के एक पंडित को घाट पर काम करते हुए 7 साल हो चुके हैं। उन्होंने इस तरह की हड्डियां काफी कम लोगों की देखी हैं वो भी 91 साल की उम्र के लोगों की अस्थियों में तो ये कभी देखने को नहीं मिलता है।
सब राख हो गया पर हड्डियां नहीं
पंडित ऋषभ शर्मा ने बताया कि मिल्खा सिंह इतने फिट थे कि उनकी हड्डियां 91 की उम्र में भी बेहद मजबूत थीं। ऐसा कभी-कभार ही देखने को मिलता है। बता दें कि मिल्खा सिंह की अस्थियों को उनके परिवार वालों ने कीरतपुर में प्रवाहित किया है। खास बात ये भी है कि मिल्खा सिंह का दाह संस्कार उसी जगह पर किया गया था जहां उनकी पत्नी निर्मला मिल्खा सिंह का अंतिम संस्कार किया गया था।
ओलंपिक में हासिल किया चौथा स्थान
मिल्खा सिंह ने चार बार एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीते हैं। उन्होंने साल 1958 में राष्ट्रमंडल खेलों में भी गोल्ड मेडल जीता था। उन्होंने साल 1960 के रोम ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया था। इसमें उन्होंने 400 मीटर फाइनल में चौथा स्थान हासिल किया था। इसके अलावा उन्होंने 1956 व 1964 के ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था। वहीं 1959 में उन्हें खेल के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने व दूसरों को बढ़ावा देने के लिए पद्मश्री अवाॅर्ड से नवाजा गया था। उनके जीवन पर फरहान अख्तर स्टारर बायोपिक फिल्म भाग मिल्खा भाग भी बन चुकी है।
ऋषभ वर्मा