क्या एथेलेटिक में खत्म होगा भारत का अपने पहले पदक का इंतेजार

खेलों के महाकुंभ का 32 वां संस्करण शुरू होने में बस कुछ ही दिन बाकी हैं। टोक्यो में होने जा रहे इन खेलों का आयोजन 23 जुलाई से 8 अगस्त तक होगा।  बता दें इस बार का ओलंपिक अपने  शेड्यूल से 1 साल देरी से होने जा रहा है। बता दें कि कोरोना के कहर के चलते इन खेलों को टालना पड़ा था। टोक्यो ओलंपिक में इस बार दुनिया भर से 205 देश हिस्सा लेंगे। इन खेलों में करीब 11 हजार एथलीटों के भाग लेने की उम्मीद है । भारत का भी एक बड़ा दल इन खेलों में शामिल होने जा रहा है। हालांकि भारत को कभी भी इन खेलों में होने वाली एथेलेटिक्स प्रतियोगिता में आज तक एक भी पदक जीतने में सफलता प्राप्त नहीं हुई है। लेकिन इस बार भारत के पास कुछ ऐसे एथेलीट्स हैं जो देश को उसका पहला पदक इन प्रतियोगिताओं में दिला सकते हैं।
एथेलेटिक में सबसे ज्यादा पदक
ओलंपिक खेलों में सबसे ज्यादा पदक एथेलेटिक्स में होते हैं।  इस बार के  टोक्यो ओलंपिक में कुल 48 इवेंट्स में 144 मेडल दिए जायेंगे। भारत की झोली इन प्रतियोगिताओ में अब तक खाली ही रही है। हालांकि आजादी से पहले हुए इन ओलंपिक खेलों में ब्रिटेन भारत की तरफ से नार्मन प्रिचार्ड ने दो सिल्वर मेडल अपने नाम किए थे। साल 1900 के पेरिस ओलंपिक में इस इंग्लिश खिलाड़ी ने अंग्रेजो के शाशन काल में ये उपलब्धि हासिल जरूर की थी।  मूल रूप से ब्रिटेन के नार्मन का जन्म कोलकाता में हुआ था।  उन्होंने पेरिस ओलंपिक में 200 मीटर रेस और 200 मीटर हर्डल रेस में सिल्वर मेडल जीते थे लेकिन ये मेडल ब्रिटेन अपने खाते में जोड़ता है। वहीं आज तक एक भी भारतीय एथलीट पदक जीतने में सफल नहीं रहा है।
ये खिलाड़ी रह गए थे पदक जीतने से एक कदम दूर
ऐसा नहीं है कि कभी भी किसी भारतीय का एथेलेटिक्स में रिकॉर्ड शानदार नहीं रहा हो। फ्लाइंग सिख के नाम से और 4 बार एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता रहे मिल्खा सिंह पदक के काफी करीब आ गए थे।  साल 1960 में हुए रोम ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन कर मिल्खा सिंह ने 400 मीटर रेस के इवेंट में चौथा स्थान हासिल किया था। मिल्खा सिंह भारत के लिए पहला पदक जीतने से बस कुछ सेकंड से चूक गए थे। भारत की उड़न परी के नाम से मशहूर पीटी ऊषा भी सेकंड के सौवें हिस्से से पदक जीतने से चूक गई थीं। साल 1984 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक के 400 मीटर रेस इवेंट में पीटी ऊषा इतिहास रचने से चूक गई थीं लेकिन कई मायनों में उन्होंने भविष्य के लिए एथलीटों के मार्गदर्शन का काम किया है।
ये खिलाड़ी कर सकते हैं पदकों के इंतेज़ार को खत्म
भारत के स्टार जेवेलिन थ्रोवर नीरज चोपड़ा से भारत को काफी उम्मीदें होंगी। नीरज चोपड़ा दुनिया के 5वें सर्वश्रेठ जेवेलिन थ्रोवर्स में से एक हैं। अभी हाल ही में लिस्बन में हुई प्रतियोगिता में उन्होंने स्वर्ण पदक भी जीता था। इसके अलावा स्प्रिंटर दुती चंद और हिमा दास से भी भारतीय फैंस को काफी उम्मीदें रहेंगी। हालांकि  दोनों अभी ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं पाए हैं पर वो जल्द ही क्वालिफिकेशन पूरा कर लेंगी। इसके अलावा जेवेलिन थ्रोवर अनु रानी और गोला फेंक में तेजिंदर सिंह से भी पदकों की उम्मीद की जा सकती हैं।
ऋषभ वर्मा
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