यूरो 2020 में जलवा बिखेर रही भारत की ये बेटी, जानें कौन हैं ये

यूरो कप फुटबाॅलर्स के खेल के अलावा ये भारतीय सुंदरी भी अपना जलवा बिखेर रही हैं। इनका नाम है भाषा मुखर्जी। बता दें कि भाषा मुखर्जी इन दिनों यूरो कप के खेल और खिलाड़ियों से ज्यादा चर्चा में आ रही हैं। खास बात ये है कि यूरो कप में वो इंग्लैंड की टीम को अपना सपोर्ट दे रही हैं। वो सोशल मीडिया पर अपनी खूबसूरती के साथ-साथ यूरो कप जीतने के लिए इंग्लैंड के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रही हैं। तो चलिए जानते हैं कौन हैं ये भाषा मुखर्जी जिन्हें यूरो कप में टूर्नामेंट से ज्यादा सुर्खियां मिल रही हैं।

भारतीय मूल की मिस इंग्लैंड हैं भाषा

सोशल मीडिया पर भाषा ने इंग्लैंड के झंडे के साथ पोज दिया है और उनकी ये तस्वीर काफी वायरल हो रही है। उन्होंने ये तस्वीर साझा करते हुए अपना खुला सपोर्ट यूरो कप की टीम इंग्लैंड को दिया है। बता दें कि भाषा भारतीय मूल की हैं पर वे ब्रिटिश नागरिक हैं। साल 2019 में उन्हें मिस इंग्लैंड का ताज पहनाया गया था। बता दें कि भाषा इतनी खूबसूरत हैं कि उन्हें देख कर कोई विश्वास ही नहीं करेगा कि वो पेशे से डॉक्टर हैं। दरअसल उनकी तस्वीरें देख कर तो लोग उनके मॉडल व एक्ट्रेस होने का ही अंदाजा लगा रहे थे।

प्रोफेशन से हैं डॉक्टर

बता दें कि यूरो कप ऐसे माहौल में हो रहा है जब कोरोना महामारी दुनिया भर को अपनी चपेट में ले चुकी है। बता दें कि पिछले साल जब कोरोना ब्रिटेन में पीक पर था तब भाषा ने ब्रिटेन में रह कर वहां के नागरिकों के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी थी। उन्होंने अपने डॉक्टर धर्म का पालन किया था और मरीजों की देखरेख की थी। उस वक्त वो इंडिया में थीं और यहां से फौरन वो अपने देश ब्रिटेन में जा कर लोगों की सेवा में जुट गई थीं। उन्होंने कोरोना में अपने देश की मदद करने का फैसला तब लिया था जब वो विदेश यात्रा पर थीं। उन्हें कई चैरिटी करने वाली संस्थाओं ने अपना एंबेसडर बनने के लिए अप्रोच भी किया था।

कोरोना में मदद के लिए जान दांव पर लगाई

बता दें कि ब्रिटेन लौटने से पहले भाषा कोलकाता में एक क्लब के साथ मिल कर काम कर रही थीं। उस वक्त उनके पूर्व साथियों ने उनसे कांटेक्ट किया और पिलग्रिम अस्पताल का हाल बताया, जहां पर वे सभी कार्यरत थे। इस महामारी की वजह से अस्पताल का स्टाफ भी काफी परेशानियों से घिरा हुआ था। उस वक्त भाषा ने अपने साथियों, प्रोफेशन और आम जनता की मदद करने का फैसला लिया व उसे निभाया भी। इसके बाद भाषा ने अस्पताल के मैनेजमेंट से कांटेक्ट किया और कहा कि वो वहां पर काम करने के लिए लौट रही हैं। भाषा ने कहा कि महामारी के दौरान भी सुंदरी का ताज पहन कर बैठे रहना गलत फैसला होता।

ऋषभ वर्मा  

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