हिन्दू धर्म मां दुर्गा को समर्पित नवरात्र का विशेष महत्व बताया गया है। नौ दिन और नौ रातों के इस समय में मां दुर्गा की पूजा की जाती और उनके लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। माना जाता है कि इस दौरान जो भक्त सच्चे मन से माता की पूजा करता है, मां उसे मनचाहा आशीर्वाद देती हैं।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक साल में नवरात्रि के चार पर्व आते हैं। इनके दो उदय यानी प्रकट नवरात्र होते हैं और दो गुप्त होते हैं। उदय नवरात्र चैत्र और कार्तिक मास में होती हैं, जबकि गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ मास मेें होती हैंै।
इस साल आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से लग रही है। इसे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और आसपास के इलाकों में विशेष रूप से मनाया जाता है। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पर्व 18 जुलाई तक रहेगा। इस दौरान शुभ मुहूर्त में माता की पूजा विशेष फलदायी सिद्ध होगी। कुछ ऐसी खास चीजें हैं जिन्हें माता की पूजा में जरूर रखना चाहिए और इनसे वह प्रसन्न होती हैं। जानिए इनके बारे में
– मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र
– माता के लिए लाल चूनर
– दुर्गा सप्तशती की किताब
– अक्षत
– आम का पल्लव
– गंगाजल
– कलावा
– चंदन
– नारियल
– जौ
– कपूर
– लौंग
– इलायची
– पान के पत्ते
– गुलाल
– मिट्टी का बर्तन
गुप्त नवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि श्रंगी किसी सभा में भक्तों के बीच आसीन थे। इसी समय एक महिला उनके सामने आई और कहने लगी कि उसका पति धर्म-कर्म से दूर मांस-मदिरा का सेवन करने वाला और बुरे कर्मों से घिरा रहने वाला है। इस वजह से वह कोई धार्मिक कार्य नहीं कर पाती है। उस स्त्री ने कहा की वह मां दुर्गा की उपासना करना चाहती है और उनके आशीर्वाद से अपने परिवार का जीवन सफल बनाना चाहती है। ऋषि श्रंगी उस महिला की बात से बहुत खुश हुए।
उन्होंने उस स्त्री को उपाय बताया और कहा कि प्रत्येक वर्ष में नवरात्रि के चार पर्व आते हैं। इनमें चैत्र और कार्तिक की नवरात्रि के बारे में तो सभी जानते हैं। मगर इनके अलावा दो गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ मास में आती हैं। इसमें भी देवी उपासना का ही प्रावधान है। इस समय में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। इस दौरान जो कोई सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसे मां उसे संसार की सभी सुख-सुविधाओं का आशीर्वाद देती हैं। इस नवरात्रि की प्रमुख देवी स्वरूप को सर्वैश्वर्यकारिणी मां के रूप में पूजा जाता है। ऋषि के बताए हुए तरीके से उस स्त्री ने माता की पूजा की और उसके सभी कष्टों का निवारण हो गया।
अपराजिता श्रीवास्तव
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