शासन ने तदर्थ से नियमित हुए शिक्षकों का नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता का दावा किया खारिज

शासन ने तदर्थ से नियमित हुए शिक्षकों का नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता का दावा खारिज कर दिया है। लोक सेवा अभिकरण एवं हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई के आधार पर शिक्षा सचिव ने बीते मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी किए थे। इसके बाद तदर्थ शिक्षक दोबारा हाई कोर्ट की शरण में जाकर इस आदेश पर स्टे लेने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले ही सीधी भर्ती के नियमित शिक्षकों ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में कैवियेट दायर कर दी है। नियमित शिक्षक अब इस बात को लेकर आश्वस्त हो गए हैं कि उनका पक्ष सुने बिना आदेश पर स्टे नहीं लगेगा।

दरअसल, एक अक्टूबर 1990 से पहले तदर्थ रूप से नियुक्त शिक्षकों ने हाई कोर्ट में केस दायर कर नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता की मांग की थी। वर्ष 2019 में कोर्ट ने इन शिक्षकों का तर्क सही पाया एवं नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता देने का आदेश दिया। उधर, सीधी भर्ती के नियमित शिक्षकों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कोर्ट और लोक सेवा अभिकरण का दरवाजा खटखटाया। राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय राजपूत ने कहा कि जब तदर्थ शिक्षकों की मौलिक नियुक्ति 1999 से मानी गई है तो, नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता का कोई औचित्य नहीं।

कहा कि उन्होंने शुक्रवार को हाईकोर्ट में इस केस में कैविएट दायर कर दी है। अब इस केस में कोई भी फैसला होने से पहले नियमित शिक्षकों का पक्ष भी सुना जाएगा। राजकीय शिक्षक संघर्ष समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश कोटनाला ने कहा कि शासन के ताजा फैसले से प्रदेश के हजारों शिक्षकों की वरिष्ठता सुरक्षित हुई है। अब लंबे समय से हेड मास्टर पदों पर रुकी पदोन्नति की प्रक्रिया भी जल्द पूरी हो जानी चाहिए।

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