देश के सबसे बड़े और सुरक्षित माने जाने वाले अस्पताल एम्स में लापरवाही का ऐसा मामला सामने आया है जो किसी को भी चौंका देने के लिए काफी है।
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सूत्रों के मुताबिक 30 वर्षीय फर्जी डॉक्टर अविनाश आनंद खुद को एम्स के ट्रॉमा सेटर के ऑर्थोपेडिक विभाग में अस्सिसटेंट प्रोफेसर बताया करता था। इस नकली डॉक्टर की सच्चाई तब सामने आई जब वह एक व्यक्ति को सफदरजंग अस्पताल के ऑरथोपेडिक ब्लॉक में भर्ती करा रहा था।
उसने प्रूफ के तौर पर एक नकली आइडी लगा रखी थी। सफदरजंग अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग के अस्सिसटेंट प्रोफेसर डॉ. बलविंदर सिंह ने बताया कि – ऐसा लगता है कि वह मरीज़ों से् पैसे उगाहने के लिए इस तरह का अवैध काम कर रहा था।
नोटबंदी से भी बेअसर रहा गोरखधंधा
वह यहां के रेसीडेंट डॉक्टरों पर दबाव बनाता था कि वे बिस्तरों का इंतज़ाम करें। इसके बदले वह अपने मरीज़ो से पैसे वसूला करता था। नोटबंदी का भी इसके इस गोरखधंधे पर कुछ असर नहीं पड़ा।
डॉक्टर सिंह ने बताया कि – कथित डॉक्टर के पास से कई बैंको के खातों की 15- 15 हजार रुपयों की पर्चियां मिली हैं। ये रकम उसने मरीज़ों से वसूली थी। हैरत की बात है कि यह सब लेन-देन नोटबंदी के दौरान हुए।इस 26 जनवरी दिल्ली दिखाएगी अपना दम, भारत की राजधानी नहीं है किसी से कम
2012 में ऐसे ही एक मामले में पुलिस ने हरीश गोस्वामी को गिरफ्तार किया था। हरीश, राम मनोहर लोहिया अस्पताल में नकली डॉक्टर बन लोगों को ठग रहा था।
फर्जी डॉक्टर ने माना नहीं थी मेडिसिन की जानकारी
गोस्वामी नकली आइडी के साथ गले में स्टेथेस्कोप टांगे दिल्ली के एम्स,सफदरजंग,आरएमएल जैसे अस्पतालों में घूमा करता था। जांच के लिए मरीज़ों को प्राइवेट लैब भेज 30 प्रतिशत कमीशन वसूला करता था। इस तरह वह भोले-भाले मरीज़ों को बेवकूफ बनाता था।
पुलिस ने अविनाश आनंद से कई बार पूछा कि वह ऐसा क्यों किया करता था। क्या उसे मेडिसिन क्षेत्र की कुछ जानकारी है। जवाब में उसने कहा कि – “मुझे डॉक्टरों की तरह मेडिसिन की गहरी जानकारी तो नहीं है पर मैं थोड़ा बहुत योग जानता हूं।”आगे उसने कहा कि उसके पास पीएचडी की डिग्री है जिसके चलते वह नाम के आगे डॉक्टर लगाता है। उसने स्वीकार किया कि – “मैं डॉक्टर नहीं हूं। मुझे माफ कर दो।”
सुरक्षा में चूक के चलते हुआ यह सब
एम्स के एक सीनियर डॉक्टर ने बताया कि अविनाश आनंद नाम से एम्स में कोई डॉक्टर नहीं है। यह सब सुरक्षा में चूक के चलते हुआ है। ” हम में से ज्यादातर सीनियर फैक्लटी डॉक्टर , जूनियर डॉक्टरों से आइडी दिखाने को नहीं कहते हैं।
धीरे-धीरे यहां इतने डिपार्टमेंट खुल गए हैं जिससे डॉक्टरों की संख्या बढ़ी है। हर साल इतने जूनियर डॉक्टर आते हैं। ऐसे में एक डॉक्टर के लिए दूसरे डॉक्टर को पहचानना इतना आसान नहीं रह जाता है।” एक दूसरे डॉक्टर का कहना है कि इस मामले के बाद मरीजों की जान की कीमत को समझते हुए सुरक्षा इंतज़ाम को बढ़ाना ज़रूरी हो गया है। सफदरजंग अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ.ए के सिंह ने बताया कि अविनाश आनंद पुलिस हिरासत में है। उसके खिलाफ सफदरजंग पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कर दी गई है।