छत्तीसगढ़ में महिला आयोग में सिर्फ महिलाओं के आवेदन लिए जाते हैं। आयोग में पूरी सुनवाई निश्शुल्क होती है। किसी भी महिला को कोई खर्च वहन नहीं करना पड़ता। महिला आयोग के आदेशों को चुनौती केवल हाई कोर्ट में ही दे सकते हैं। किसी भी सरकारी दफ्तर और कोई भी संस्थान, जहां पर दस या उससे अधिक सदस्य काम करते हैं, वहां पर आंतरिक परिवाद समिति गठित करना आवश्यक है, जिसमें महिला सदस्य का होना जरूरी है। यह बातें छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डा.किरणमयी नायक ने राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से आयोजित एक वेबिनार में कहीं।
इस दौरान पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के शारीरिक विभाग की अध्यक्ष रीता वेणु गोपाल के साथ विश्वविद्यालय के 50 प्रोफेसर और छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। डा. किरणमयी नायक ने कहा कि एक साल में आयोग में 1 हजार 401 मामलों की सुनवाई हो चुकी है। इसमें से 410 प्रकरणों में सुनवाई कर उन्हें नस्तीबद्ध किया जा चुका है।
महिलाएं अपने अधिकारों को समझें : हमीदा
वक्ता अधिवक्ता हमीदा सिद्दीकी ने कहा कि महिलाओं को अपनी संपत्ति पर अधिकार तो है ही, उनका अपने शरीर पर भी अधिकार है। महिलाएं काम करने जाती हैं। बहुत से पुरुष इस बात को स्वीकार नहीं कर पाते है। उनको हर तरह से रोकने का प्रयास करते हैं। उनके काम में बाधा उत्पन्न करते है, उन्हें आगे बढ़ने से रोका जाता है। दुष्कर्म के मामलों में निर्भया केस के बाद इस पर व्यापक संशोधन हुआ है।
महिलाएं अपने अधिकारों को समझें, ससुराल में हो या काम करने के स्थान पर, धारा 498 के केस में आपको दहेज के सामान की लिस्ट और किसने आपके साथ क्या किया है, उसकी विस्तृत जानकारी देनी होगी। इसके आधार पर आपकी शिकायत दर्ज होगी। यदि आप शिकायत दर्ज कराती हैं तो उसके साथ शिकायत से संबंधित सम्पूर्ण दस्तावेज, गवाहों को अपने साथ रखें और चालान की कापी जरूर रखें। राज्य में महिला उत्पीड़न से संबंधित शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1091, 112, 181 इनका इस्तेमाल अधिक से अधिक किया जाना चाहिए।
महिलाओं का नाम गोपनीय
डीएसपी वर्षा मिश्रा ने बताया कि महिलाओं के साथ 4 प्रकार के शोषण होते हैंं, जिनमें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, लैंगिक शोषण शामिल हैं। अगर आपके साथ ऐसा कुछ होता है तो उसका पुनः अवलोकन करें और उसे एक आवेदन के रूप में लिखकर दे। कई दफा ऐसा होता है कि महिला बोलकर सभी बातें बता नहीं पाती हैं, इसलिए सभी तथ्यों की विस्तृत जानकारी आवेदन के रूप में दे सकती हैं। क्योंकि महिला द्वारा दिया गया जो आवेदन होता है वहीं एफआइआर के रूप में दर्ज होता है।
अक्सर यह होता है कि महिला इस बात से घबराती है कि उसके नाम का उल्लेख होगा, महिला अपराधों में गोपनीयता बरती जाती है, उसके नाम का कहीं पर उल्लेख नहीं होता है। वर्तमान में आनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है, अपने एफआइआर को पुनः पढ़ सकते है। यदि कोई बात छूटी हो तो उसे पुनः लिखवाने के बाद संतुष्ट होकर हस्ताक्षर करें, सारे बातें खुलकर विवेचक को बताएं। थाना प्रभारी के संपर्क में रहें, आवेदन करने में जो भी विलंब का कारण है उसे अवश्य बताएं।