चीन को एक बड़ी सैन्य समस्या का सामना करना पड़ रहा है. उसे सैन्य बल में शामिल होने के लिए योग्य उम्मीदवारों का मिलना मुश्किल हो रहा है. इसको देखते हुए, चयन प्रक्रिया को आसान बनाते हुए नंबर घटा दिए गए हैं. पहली बार, सेना ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) सैनिकों के लिए एक मंसूबा भी बनाया है. सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा यूनिवर्सिटी का काम मिलिट्री एकेडमिक्स और स्कूलों के लिए परीक्षार्थियों की बहाली करना है. उसने पात्रता शर्त 600 नंबर से घटाकर 573 नंबर कर दिया है. बताया जाता है कि ये फैसला मुनासिब उम्मीदवारों के रुजहान में कमी देखने के बाद लिया गया.
चीन को नहीं मिल रहे सेना में भर्ती होने के लिए योग्य उम्मीदवार
चीन का लक्ष्य पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को 2035 तक आधुनिक करने और 2050 तक दुनिया का शक्तिशाली बल बनाने का है. हाल की जरूरतों ने सेना की विशेष नौकरी के लिए नियुक्ति प्रक्रिया को बदल दिया है. चीन एक दशक से अपनी सेना में सुधार कर रहा है. उसने पहले ही पूरे देश को पांच थियेटर कमांड में मान्यता दी है. उसके अलावा, पहली बार दूसरे कदम के तौर पर युद्धकालीन भर्ती योजना का प्रस्ताव है जिसमें पूर्व सैनिक प्राथमिकता में होंगे. बताया जाता है कि पूर्व सैनिक मामलों के मंत्रालय ने इस साल जुलाई में नियमों का मसौदा जारी किया था जिसमें पहली बार भर्ती नियमों में बदलाव का प्रस्ताव है. उसमें बताया गया है कि पूर्व सैनिकों और युद्धकालीन दिग्गजों को कैसे अधिकारी भर्ती करेंगे.
समस्या दूर करने के लिए चयन प्रक्रिया को बनाया गया आसान
केंद्रीय सेना आयोग सरकार और सेना में कई पदों पर पूर्व सैनिकों के लिए प्रस्ताव संबंधी आदेश जारी करेगा. दरअसल, एक बच्चे की नीति की वजह भी वर्तमान समस्या के पीछे देखी जा रही है. ज्यादातर फौजी बेहतर मौके के लिए अपना कार्यकाल खत्म करने की कोशिश करते हैं. परिवार के लिए एक बच्चा की सख्त नीति को 1979 में लागू किया गया था और 2016 में वापस ले लि गया. नीति की वजह से लड़के के पक्ष में लिंग-चयनात्मक गर्भपात का प्रयास भी बढ़ा है. 2020 में पूर्वी लद्दाख का गतिरोध भी जिम्मेदार बना. चीनी अधिकारियों ने ऊंचाई पर लंबी तैनाती के दौरान सेवा करने के लिए तिब्बती युवाओं को महत्व देना शुरू कर दिया है.
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