जन्माष्टमी आने में कुछ ही समय बचा है. इस साल जन्माष्टमी का पर्व 31 अगस्त सोमवार को मनाया जाने वाला है. इस दिन बाल-गोपाल को छपन्न भोग लगाया जाता है। लेकिन आपने सोचा है कि आखिर क्यों लगाया जाता है 56 भोग. आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसके पीछे की रोचक मान्यताएं हैं।

एक कथा के अनुसार माता यशोदा बालकृष्ण को एक दिन में अष्ट पहर भोजन कराती थी अर्थात् बालकृष्ण 8 बार भोजन करते थे। एक बार जब इन्द्र के प्रकोप से सारे व्रज को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार 7 दिन तक भगवान ने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया। 8वें दिन जब भगवान ने देखा कि अब इन्द्र की वर्षा बंद हो गई है, तब सभी ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत से बाहर निकल जाने को कहा, तब दिन में 8 पहर भोजन करने वाले बालकृष्ण को लगातार 7 दिन तक भूखा रहना उनके ब्रजवासियों और मैया यशोदा के लिए बड़ा कष्टप्रद हुआ। तब भगवान के प्रति अपनी अनन्य श्रद्धाभक्ति दिखाते हुए सभी ब्रजवासियों सहित यशोदा माता ने 7 दिन और अष्ट पहर के हिसाब से 7X8=56 व्यंजनों का भोग बालगोपाल को लगाया।
एक अन्य कथा के अनुसार जब कृष्ण की गोपिकाओं ने उनको पति रूप में पाने के लिए 1 माह तक यमुना में भोर में ही न केवल स्नान किया, अपितु कात्यायिनी मां की पूजा-अर्चना भी की ताकि उनकी यह मनोकामना पूर्ण हो। तब श्रीकृष्ण ने उनकी मनोकामना पूर्ति की सहमति दे दी। उस समय व्रत समाप्ति और मनोकामना पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ही उद्यापनस्वरूप गोपिकाओं ने 56 भोग का आयोजन करके भगवान श्रीकृष्ण को भेंट किया।
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