कोरोना काल में काफी लोगों की नौकरी गई और कई लोगों का व्यापार चौपट हो गया। हर क्षेत्र में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन इस बीच उनकी हार नहीं हुई जो हिम्मत से काम लेकर कुछ न कुछ सोचते और करते रहे। स्टार्टअप और कुशलता से काम करने वालों को इस दौरान कुछ नई उपलब्धियां भी हासिल हुई। ऐसे ही एक शख्स हैं मोहाली के ट्विंकल कुमार जिन्होंने कोरोना काल में नौकरी जाने के बाद आपदा को अवसर बनाया और सिगरेट के बड को रिसाइकिल करने के बिजनेस की शुरुआत की। आइए जानते हैं इनके असफल होने से सफल होने की कहानी।.
कैसे शुरू किया व्यापार
सिगरेट का बड किस काम का है। इसे लोग पीते हैं और कूड़ेदान या फिर एशट्रे में डाल देते हैं। लेकिन ट्विंकल की सोच यहीं से शुरू हुई। उन्होंने न केवल सिगरेट के बड को रिसाइकिल करके पर्यावरण को नुकसान से बचाया बल्कि खुद के जीविकोपार्जन के लिए भी एक रास्ता तैयार किया। उन्होंने सिगरेट के फिल्टर को इकट्ठा करना शुरू किया और आज उससे लाखों रुपए कमा रहें हैं। सिगरेट के बट से न केवल वह खिलौने और कुशन बल्कि मच्छर भगाने की दवाएं भी तैयार कर रहे हैं। इससे वह अच्छा बिजनेस कर लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं।
ये भी पढ़ें : क्या है करोड़पति चाय वाले की सफलता का राज, जानिए सक्सेस मंत्र
ये भी पढ़ें समोसे के दम पर खड़ा किया 19 करोड़ से भी बड़ा बिजनेस, जानें कैसे
कहां से मिली सोच
ट्विंकल एक मीडिया को दिए साक्षात्कार में बताते हैं कि वह नौकरी छूटने के बाद यूट्यूब पर ही अपना वक्त बिता रहे थे। उस पर ज्यादातर वीडियो देखते रहते थे। यह रिसाइक्लिंग का आइडिया भी इनको वहीं से मिला और काफी खोज बीन और पड़ताल करने के बाद इस पर काम शुरू करने की हिम्मत जुटाई। वह करते हैं कि उनके लिए सिगरेट के बेकार फिल्टर को जमा कर पाना सबसे मुश्किल काम था। लेकिन उसके लिए दुकानदारों से बात करके और महिलाओं को तैनात करके यह काम किया गया। अब सिगरेट के बट इकट्ठा करने में किसी को कोई दिक्कत नहीं होती है।
अब चल रहा है बिजनेस
ट्विंकल बताते हैं कि सिगरेट के बड इकट्ठा होने के बाद ही काम शुरू होता है। यह ज्यादा मात्रा में होना जरूरी है। फिर इससे कुशन और खिलौने आदि बनाकर बाजार में भेजा जाता है। अब तो दुकानों पर कुछ बॉक्स भी रखवा दिए गए हैं ताकि लोग उसी में सिगरेट की बड डालें और उसके फिल्टर को बेकार न करें। अब इससे ज्यादा कम समय में बड इकट्ठा होता है और तेजी से उत्पाद बनता है। इसमें नोएडा के उनके मित्र ने भी काफी सहयोग किया और उससे यह काम आसान हुआ।
GB Singh