पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक ऐसा कर्म है जो पूर्वजों के लिए है। साल में आप भले ही आप अपने पूर्वजों को न याद करें लेकिन कहा जाता है कि श्राद्ध के मौके पर अपने पितरों को जरूर याद करना चाहिए। इस दौरान भगवान भी पूर्वजों को याद करने की पूरी तरह अनुमति देते हैं। कहा जाता है कि स्वर्ग लोक से पितृ पृथ्वी पर अपने स्वजनों के यहां कुछ पाने की आस में आते हैं। इसलिए इस दौरान उन्हें कुछ न कुछ जरूर तर्पण करना चाहिए। एक लोटा जल से भी पितृ खुश हो जाते हैं। हालांकि इस दौरान कुछ भी नया काम करने से बचना चाहिए। खरीदारी भी नहीं करनी चाहिए। पितृ पक्ष में और क्या कार्य वर्जित है, आइए जानते हैं।
आज से शुरू है श्राद्ध
अनंत चतुर्दशी में दस दिन बाद गणेश को विदा करने के अगले दिन से ही पितृ पक्ष शुरू हो जाता है। यह भाद्रपद की पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक चलता है। यह 15 दिनों के लिए होता है जो काफी प्रमुख माना जाता है। लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध व हवन करते हैं। हरिद्वार व गया में जाकर पिंडदान करते हैं। यह 6 अक्तूबर को समाप्त होगा।
यह कार्य हैं 15 दिनों के लिए वर्जित
पितृ पक्ष में कोई भी शुभ काम नहीं शुरू करना चाहिए। जैसे शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश और कोई महत्वपूर्ण चीजों की खरीदारी नहीं करनी चाहिए। लोग तो नए कपड़े भी पितृ पक्ष के दौरान नहीं खरीदते हैं और न ही कोई नया कार्य शुरू करते हैं। यह काफी शांत मन से पूर्वजों को याद करने का समय होता है और उनके लिए प्रार्थना की जाती है। इसके लिए कई कारण बताए गए हैं।
आखिर क्यों वर्जित हैं कार्य
हिंदू धर्म में ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक पूर्वजों का सम्मान आवश्यक है। इस दौरान सादा जीवन ही जीने के लिए कहा जाता है। इससे पूर्वज काफी प्रसन्न होते हैं और परिवार पर अपनी कृपा बनाते हैं। जिंदगी में सफलता के लिए मेहनत के साथ ही किस्मत और पूर्वजों का आशीष जरूरी बताया गया है। यह कर्म उसी को ध्यान में रखता है। अगर पूर्वज नाराज हो जाएं तो परिवार पर संकट आने की बात कही गई है। वह 15 दिनों तक अपनों के साथ ही रहते हैं और उनके द्वारा किए गए आचरण और व्यवहार को समझते हैं। इसलिए इस दौरान पूर्वजों का अनादर नहीं करना चाहिए।
GB Singh