मुस्लिम देशों पर बैन के बाद, अगला नंबर पाकिस्तान का हो सकता है: व्हाइट हाउस
vox.com के मुताबिक ट्रंप अपने अगले कार्यकारी आदेश में ‘कानूनी आव्रजन’ को कम करने का आदेश दे सकते हैं। यह लीक हुए ड्राफ्ट ऑर्डर में से एक है। इसमें कहा गया है कि कानूनी तौर पर अमेरिका आने वालों की संख्या घटाई जाएगी।
ट्रंप का मानना है कि ऐसा करने से अमेरिकी नागरिकों के लिए रोजगार के ज्यादा अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। गौरतलब है कि एच1बी वीजा के जरिए बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिका जाते हैं। यदि ट्रंप ‘कानूनी आव्रजन’ को कम करते हैं तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान भारतीयों को होगा।
ड्रॉफ्ट में यह भी कहा गया है कि विदेशी छात्रों की कड़ी निगरानी की जाएगी और एच-1बी वीजाधारकों को काम पर रखने वाली कंपनियों की जांच होगी। ट्रंप ओबामा सरकार के उस फैसले को भी पलटने का सोच रहे हैं जिसमें उन्होंने एच-1बी वीजा धारकों की पत्नियों को अमेरिका में काम करने का अधिकार दिया था।
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यही कारण है कि यहां की हर आईटी-आईटीईएस कंपनियों ने 31 मार्च तक अपने नए प्लान को होल्ड पर डाल दिया है। साथ ही हायरिंग को पूरी तरह से रोक दिया गया है। हायरिंग रुकने का असर कैंपस प्लेसमेंट पर भी पड़ेगा। फिलहाल यह सेक्टर वेट एंड वॉच की स्थिति में आ चुका है।
राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने आउटसोर्सिंग को लेकर काफी सख्त रवैया अपना रखा था। अब वह राष्ट्रपति बन चुके हैं, ऐसे में कंपनियों की नजर उनके रुख पर टिकी हुई है। वह स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ाने को लेकर वहां की जनता से वादा कर चुके हैं। माना जा रहा है कि वह अब इसे अमल में लाएंगे।
एच-1बी एक प्रोफेशनल वीजा है, जो लोगों को अमेरिका की कंपनियों में तीन साल तक काम करने की इजाजत देता है। इसका अगले तीन साल के लिए नवीनीकरण भी हो जाता है, मगर ट्रंप इसमें भारी कटौती करने जा रहे हैं। आईटी कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे में वह अपने क्लाइंट को खो देंगे।
आपको बता दें कि ट्रंप ने शुक्रवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर पूरी दुनिया में अफरा-तफरी का माहौल बना दिया है। दरअसल ट्रंप ने सात मुस्लिम बाहुल्य देश के अप्रवासियों के अमेरिका आने पर रोक लगा दी।
ट्रंप के इस आदेश के तहत इराक, सीरिया, ईरान, सूडान, लीबिया, सोमालिया और यमन के लोगों की गहन जांच के बाद ही उन्हें अमेरिका में प्रवेश मिल सकता है। वहीं, ट्रंप के इस आदेश की अमेरिका समेत दुनिया भर में तीखी आलोचना हो रही है।