उस दिन का इंतजार खत्म हो गया जब फेसबुक ने अपने नाम बदलने की घोषणा की थी लेकिन तिथि नहीं बताई थी। जानकारी के मुताबिक, आखिरकार फेसबुक ने अपनी कंपनी का नाम बदल दिया है और अब वह फेसबुक कंपनी नहीं कहलाएगी बल्कि किसी और नाम से उसे जाना जाएगा। फेसबुक के नाम बदलने को लेकर पहले ही घोषणा हो गई थी लेकिन कंपनी की ओर से कुछ आधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया था। फेसबुक ने वाट्सऐप और इंस्टाग्राम जैसी चर्चित ऐप को खरीदा था और उन्हें भी फेसबुक कंपनी का बताया जाता था लेकिन फेसबुक ऐप होने से यह नाम बदला गया।
मेटा हो गया है नाम
अपने ब्रांड को नई ऊंचाई और कुछ नया देने के लिए फेसबुक का नाम बदला गया है। अब फेसबुक कंपनी को मेटा कंपनी के नाम से जाना जाएगा। कोई भी कर्मचारी अब फेसबुक में नहीं बल्कि मेटा नाम की कंपनी में काम करेंगे। बताया जा रहा है कि फेसबुक के पूर्व नागरिक इंटीग्रिटी चीफ समिथ चक्रवर्ती ने यह नाम का सुझाया जिसके बाद इसके बारे में काफी राय ली गई। मेटा.कॉम अभी मेटा.ओआरजी पर रीडायरेक्ट करता है और यह एक बायोमेडिकल रिसर्च की खोज उपकरण है।
आखिर चाहता क्या है फेसबुक
फेसबुक को मेटावर्स कंपनी के नाम से अपना नामकरण करना पड़ा इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ ब्रांडिंग ही छुपी है। क्योंकि फेसबुक आगे और ज्यादा निवेश अपनी कंपनी में करेगा जो मेटावर्स के नाम से है और यह रकम दस बिलियन डॉलर से ज्यादा हो सकती है। इसमें कई नई तकनीक भी शामिल होंगे और आभासी अनुभव को और ज्यादा मजेदार बनाने पर काम किया जाएगा। फेसबुक अपनी प्रयोगशाालाओं पर भी खर्च करेगी और कंटेंट और साफ्टवेयर को ताकतवर बनाएगी। फेसबुक नाम से ऐप होने के चलते अब उसे मेटावर्स कंपनी के तहत ही चलाया जाएगा।
मेटावर्स से क्या होगा फायदा
बताया जा रहा है कि मेटावर्स के लिए पिछले कई महीनों से काम चल रहा था। अब यह काफी ज्यादा लोगों को समझ में आएगा और इससे निवेश का दायरा बढ़ेगा और तकनीक का भी। मेटावर्स एक आभासी दुनिया है जो भौतिक रूप से नहीं लेकिन लोगों के बीच रहता जरूर है। फेसबुक आने वाले दिनों में मेटावर्स बनाने के लिए काफी लोगों को नौकरी देगा। इसमें करीब दस हजार लोगों को तैनात किए जाने की खबर है। यह वीआर और एआर का भी इस्तेमाल करके आभासी अनुभव को और खास बनाने की ओर से प्रयास किया जाएगा।
GB Singh