गोपाष्टमी पर्व का क्या है महत्व, जानिए कब मनाया जाएगा

     भारत में गो सेवा का बहुत महत्व है। यहां गाय को हिंदू धर्म का सबसे विशेष और पवित्र जानवर बताया गया है। कार्तिक मास में गो सेवा से जुड़े त्योहार में गोपाष्टमी भी शामिल है। यह दीपावली के दौरान पड़ने वाले गोवर्धन पूजा के आठ दिन बाद मनाते हैं। यह पर्व भगवान कृष्ण से संबंधित है। श्रीकृष्ण के घर में सबसे अधिक गायें पली थीं इसलिए उनको गायों से बेहद प्यार था। आइए जानते हैं इस पर्व के बारे में।

गोवर्धन पूजा से जुड़ा है पर्व
दीपावली के दूसरे दिन लोग गोवर्धन पूजा करते हैं। लोग में गोबर से श्रीकृष्ण के उठाए पर्वत की आकृति बनाते हैं। कहा जाता है कि इंद्र देव ने नाराज होकर नंद गांव में काफी बारिश की तो भगवान कृष्ण ने लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी एक उंगली से उठा लिया था। उस दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा थी और उस दिन से लेकर सात दिन तक भगवान ने पर्वत उठाए रखा था। जब भगवान इंद्र को लगा कि अब उनकी बारिश का असर नहीं होगा तो उन्होंने हार मानी और कृष्ण से क्षमा मांगी। गोवर्धन पर्वत उठाने के कारण आठवें दिन गोपाष्टमी मनाते हैं।

क्या है पूजा का समय
गोपाष्टमी इस बार 12 नवंबर को मनाई जाएगी। यह सुबह 6 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी और 13 नवंबर को सुबह 5 बजकर 51 मिनट तक चलेगी। इस दिन सुबह और शाम को गायों को पूजना चाहिए और उनको भोजन कराना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठें और गुड़ रोटी और भोजन कराएं। गायों के साथ ही ग्वालों को भी उपहार दें। शाम को भी  पूजा करने के बाद उनको भोजन कराएं। चरणों की मिट्टी लगाकर प्रणाम करें। गौ सेवा का अवसर मिलता रहे यह प्रार्थना करें। हिंदू धर्म में गाय को पवित्र जीव माना गया है ऐसे में उनकी पूजा करना श्रेष्ठ है। गोपाष्टमी पर गाय की पूजा करने से सुख और समृद्धि मिलती है।

GB Singh

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