कोरोनाकाल में बच्चों में स्क्रीन की लत में इजाफा दर्ज किया गया है। माता-पिता को घर की चारदीवारी में कैद बच्चों को मोबाइल, कंप्यूटर या टीवी की स्क्रीन थमाने में कोई गुरेज न होना इसकी मुख्य वजह है। ‘साइकोलॉजी ऑफ पॉपुलर मीडिया जर्नल’ में प्रकाशित एक अमेरिकी अध्ययन तो कुछ यही बयां करता है।
सिनसिनाती यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन, फिल्म एंड मीडिया स्टडीज ने दो हजार से अधिक अभिभावकों से कोरोनाकाल में बच्चों में स्क्रीन के इस्तेमाल में आए बदलावों को दर्शाने वाले सवाल पूछे। इस दौरान 83.7 फीसदी माता-पिता ने महामारी में बच्चों के स्क्रीन पर गुजारे जाने वाले समय में वृद्धि होने की बात मानी।
21.2 प्रतिशत ने तो यहां तक कहा कि बच्चों की स्क्रीन की जरूरत को पूरा करने के लिए उन्हें नया उपकरण खरीदना पड़ा। 25.5 फीसदी लैपटॉप तो 17.1 प्रतिशत क्रोमबुक खरीदने को मजबूर हुए।
शोधकर्ता नैंसी जेनिंग्स के मुताबिक अध्ययन में शामिल 19.5 फीसदी अभिभावकों ने कोरोनाकाल में बच्चों का सोशल मीडिया अकाउंट बनाने की बात मानी। 25 फीसदी ने उन्हें टिकटॉक, 23 फीसदी ने फेसबुक मैसेंजर और 17 फीसदी ने इंस्टाग्राम के इस्तेमाल की इजाजत दी।
जेनिंग्स की मानें तो कोरोनाकाल में बच्चों में स्क्रीन के इस्तेमाल की प्रवृत्ति पहले जैसी ही दिखी। लड़कों ने गेम खेलने तो लड़कियों ने वीडियो देखने में ज्यादा दिलचस्पी ली। अध्ययन में स्क्रीन का इस्तेमाल नियंत्रित करने और वयस्क सामग्री को फिल्टर करने के लिए विभिन्न ऐप की मदद लेने पर जोर दिया गया है।
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