पढि़ए ! एक महिला की दर्द भरी कहानी, 9 माह तक झूठ में ही बनी रही गर्भवती

लखनऊ: संतान की प्राप्ती एक मां के लिए दुनिया का सबसे बड़ा तौहफा होती है। पर अगर किसी महिला के संतान न हो तो उसको कितन कुछ झेलना पड़ा है, यह दर्द सिर्फ वहीं महिला जान सकती है। इस दर्द से गुजर रही एक महिला ने पहले तो 9 माह तक झूठ में ही गर्भवती होने का नाटक किया और फिर एक दिन एक अस्पताल से बच्चा चोरी कर लिया। खैर भला हो पुलिस का की किसी तरह पुलिस ने चोरी हुए बच्चे का सकुशल बरामद करते हुए उसको उसकी असली मां तक पहुंचाया और आरोपी महिला को गिरफ्तार किया गया।

सीओ गाजीपुर दिनेश पुरी ने बतया कि बच्चे के चोरी होने के मामले में पुलिस के पास आरोपी महिला का सीसीटीवी फुटेज था। पुलिस ने महिला के फुटेज से फोटो बनवाई और चोरी हुए बच्चे की फोटो भी लेकर कुछ पोस्टर छपवाये। इसके बाद उन पोस्टरों को जगह-जगह चस्पा कराया गया। यहां तक कि आटो और टेम्पो पर भी उन पोस्टरों को लगाया गया। इस बीच शुक्रवार की सुबह करीब 5 बजे गाजीपुर पुलिस को इस बात कीसूचना मिली कि गोमतीनगर के चमरई गांव में रहने वाले पेंटर लवकुश की पत्नी आरती के पास फोटो में दिख रहा बच्चा मौजूद है।

 सूचना मिलते ही गाजीपुर पुलिस हरकत में आ गयी और चमरई गांव निवासी लवकुश के घर से चोरी किया गया बच्चा सकुशल बरामद कर लिया। पुलिस ने इस मामले में लवकुश की पत्नी आरती को गिरफ्तार किया। पूछताछ की गयी तो आरती ने बच्चा चोरी करने की बात कबूल ली। छानबीन के बाद गाजीपुर पुलिस ने बच्चे को उसके असली मां-बाप के हवाले कर दिया। इस मामले में छानबीन के दौरान आरती के पति लवकुश की भूमिका नहीं मिली है। आरती ने पति को बताया था कि उसने उक्त बच्चे को अस्पताल में जन्म दिया था।

मां न बन पाने के गम ने बना दिया चोर
औलाद का सुख हर मां के लिए दुनिया में सबसे बड़ा सुख होता है। आरोपी आरती इस सुख से दूर थी। बताया जाता है कि मूल रूप से बाराबंकी जनपद निवासी लवकुश अपनी पत्नी आरती के साथ गोमतीनगर के चमरई गांव में किराये के मकान में रहता था। कुछ समय पहले आरती गर्भवती हुई थी। प्रसव के दौरान

उसने एक बच्चे को जन्म भी दिया था पर जन्म के बाद ही बच्चे की मौत हो गयी। इसके बाद आरती ने इन्दिरानगर स्थित बाल महिला चिकित्सालय में इलाज शुरू कराया। इलाज के दौरान डाक्टरों ने पाया की आरती का गर्भाशय छोटा है और ऐसे में वह गर्भवती तो हो सकती है पर बच्चे को सही सलामत जन्म नहीं दे सकती है। आरती को जब इस बात का पता चला तो वह मानसिक रूप से टूट गयी। आरती ने हिम्मत नहीं हारी और बाल महिला चिकित्सालय से इलाज शुरू कराया। आरती का कहना है कि बुधवार की दोपहर वह अस्पताल दवा लेने आयी थी।

इस बीच प्रथम तल के वार्ड में उसकी नज़र अकेले मौजूद बच्चे पर पड़ गयी। बस उसको चोरी का ख्याल आया और वह बच्चा लेकर वहां से निकल गयी। अस्पताल से बाहर निकलने के बाद उसने अपने पति को फोन कर बताया कि उसको रात में प्रसव पीड़ा हुई थी और वह अस्पताल आ गयी थी। अस्पताल में उसने बच्चे को जन्म दिया है। आरती ने पति को फौरन अस्पताल बुलाया और घर चलने की बात कही। आरती का पति अस्पताल पहुंचा और आरती व बच्चे को लेकर घर आ गया। आरती की बात सुनकर उसके पति को भी कोई शक नहीं हुआ।

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