लोग घर बाद में बनाते हैं लेकिन उसका नाम पहले सोच लेते हैं। घर को नाम देने के लिए कभी कोई पंडित से पूछता है तो कभी कोई जानकार से। कुछ लोग अपने घर का नाम अपने पूर्वजों के नाम पर रखते हैं। उसकी नेम प्लेट बनवाते हैं और लगा देते हैं। लेकिन क्या इसके पीछे भी कोई वास्तुशास्त्र होता है। इसका जवाब है हां। नेम प्लेट लगाने की भी कुछ विशेषता है जिसके बारे में वास्तु शास्त्र में बताया गया है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। आइए जानते हैं।

लोगों के लिए विशेष है यह नाम
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की हर एक चीज हमें अपने जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक की ओर ले जाती है। इसलिए घर बनाने से लेकर उसकी सजावट तक में लोग वास्तु को महत्व देते हैं और कुछ नियमों का पालन किया जाता है। ऐसे ही घर के बाहर लगी नेम प्लेट को लेकर लोगों में सबसे पहली धारणा होती है कि यह घर का पता है और इसका उपयोग लोग घर को पहचानने मेंकरते हैं। लेकिन यह सिर्फ पता नहीं बल्कि आपके घर की ऊर्जा को भी बताती है।
वास्तुशास्त्र कहता है
वास्तु शास्त्र के अनुसार जो इसके जानकार हैं वह बताते हैं कि नम प्लेट सही आकार और साफ होनी चाहिए। अगर यह आयताकार है तो सही है। नेम प्लेट पर दो लाइन में नाम लिखना अच्छा होता है और इसको प्रवेश द्वार के दाई तरफ लगाना अच्छा माना जाता है। अक्षरों की बनावट भी पढ़ने लायक साफ होनी चाहिए और ज्यादा भरी न हो। बल्कि उसमें कुछ खाली सा भी दिखे। यह टूटा न हो और छेद भी न हो तो अच्छा होगा। वैसे लोग इसमें छेद करवा कर भी दीवार पर लगवाते हैं। इसकी सफाई करते रहने चाहिए और नेम प्लेट पर स्वास्तिक या फिर गणेश जी का चिह्न अच्छा रहता है। खराब होने पर नेम प्लेट हटा देना चाहिए। इसको रोशनी में रखना चाहिए, अंधेरे में नेम प्लेट न हो।
GB Singh
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