हिंदू धर्म में मांगलिक कार्यों के लिए चतुर्मास सही नहीं रहता है। जी दरअसल इन चार महीने में किसी भी प्रकार के शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार आदि नहीं किए जाते हैं। आप सभी को बता दें कि ऐसा कहा जाता है कि चतुर्मास में जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं। जी हाँ और ऐसे में सभी शुभ कार्यों को करने या उन्हें शुरू करने की मनाही होती है। इसी के साथ इस दिन से सूर्य भी दक्षिणायन में चले जाते हैं। वहीं धर्मग्रंथों के अनुसार जहां एक ओर देवता इन महीनों में निद्रा के लिए जाते हैं वहीं, इंसानों के लिए ये महीने खुद पर ध्यान देने और सेहत के लिए संयम और संतुलित भोजन के दिन होते हैं। आप सभी को बता दें कि चतुर्मास आषाढ़ मास के शुक्ल एकादशी (देवशयनी एकादशी) से प्रारंभ होता है और कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठनी एकादशी) तक चलता है।

कब से शुरू हो रहा है चतुर्मास?– इस साल देवशयनी एकादशी तिथि 10 जुलाई को पड़ रही है। जी हाँ और इसी दिन से चतुर्मास प्रारंभ हो जाएगा, जबकि इसका समापन 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन होगा। इसके चलते 10 जुलाई से 4 नवंबर तक श्रावण, भाद्रपद अश्विन और कार्तिक माह में मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा।
चतुर्मास में नहीं करें ये काम- चतुर्मास के दौरान इन सभी 4 महीनों में विवाह संस्कार सहित गृह प्रवेश और दूसरे सभी मंगल कार्य निषेध माने गये हैं। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि इन महीनों में भगवान गहन निद्रा में होते हैं इसलिए उनका आशीर्वाद नहीं मिल पाता। इसके अलावा इन महीनों में किसी भी इंसान को जप-तप, ध्यान और आध्यात्म की मदद लेनी चाहिए। इसी के साथ ही सेहत और संयम पर ध्यान होना चाहिए।
चतुर्मास में करें ये काम- चार माह के लिए सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं और ऐसे में इन चार माह में भगवान शिवजी की पूजा आराधना करना बेहद लाभकारी माना जाता है। कहा जाता है इन महीनों में किसी भी इंसान को जप-तप, ध्यान और आध्यात्म की मदद लेनी चाहिए।
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