महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण को जीवन का आधार माना जाता है। रामायण मुख्य रूप से श्रीराम की कहानी है। जिसमें उनके जीवन चरित्र को एक नायक और उनकी पत्नी सीता के चरित्र को नायिका के रूप में बताया गया है।
रामकथा में वैसे तो खलनायक बहुत हैं, लेकिन मुख्य खलनायक रावण है। रामायण में मौजूद ऐसी कई बातें हैं, जो जिंदगी में बेहद काम में आती हैं। जैसे चरित्र, मर्यादा और भी अन्य।
लेकिन रामायण की कुछ ऐसी बातें भी हैं, जो वर्तमान समय में नहीं आजमाना चाहिए। हालांकि यह घटनाएं त्रेतायुग में हुईं और उस समय भी नैतिक नियमों के विरुद्ध थीं।
रामायण में उल्लेख मिलता है कि कैकयी, जोकि श्रीराम की सौतेली माता और भरत की मां थी। वह श्रीराम को वनवास और भरत को राज्य दिलाने के लिए हठ कर बैठीं और कोप भवन में चलीं गईं। मां का यह रूप किसी भी स्त्री को नहीं आजमाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर परिवार बिखर जाते हैं।
ठीक इसी तरह रामायण में बालि का जिक्र मिलता है। वह श्रीराम के मित्र सुग्रीव के बड़े भाई थे। सुग्रीव के भाई ने सुग्रीव की पत्नी का अपहरण कर रानी बनाना चाहा। लेकिन अंजाम बालि के अंत से हुआ। बालि का संहार स्यवं प्रभु श्रीराम ने किया था।
रामायण का यह उल्लेख बताता है कि अपने अनुज की पत्नी और किसी भी अन्य स्त्री को गलत निगाह से नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने पर आपके चरित्र पर प्रश्न चिन्ह तो लगता ही है, बल्कि अंत भी नजदीक आ जाता है। यह पूरी तरह से चारित्रिक और नैतिक पतन की सीढ़ी है।