कार्तिक मास में कालिंदी यानि यमुना नदी में स्नान का विशेष महत्व है। यही वजह है की बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूरे कार्तिक मास यमुना नदी में स्नान कर दीपदान करते हैं। कार्तिक मास में दूसरे स्नान घाटों के साथ ही यमुना नदी के मौज गिरी घाट पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। लेकिन मौज गिरी घाट पर साफ सफाई न होने और घाट पर फैली गंदगी के चलते श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
श्रद्धालु करोड़ों रुपए की लागत से बनाए गए मौज गिरी घाट के बजाय कच्चे घाटों पर इधर-उधर स्नान करने को मजबूर हैं। जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। लेकिन नगर निगम और प्रशासन के जिम्मेदार आला अधिकारी श्रद्धालुओं की इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। जबकि देवोत्थान एकादशी की पूर्व संध्या पर मौज गिरी घाट पर दीपदान का भी आयोजन होता है। मौज गिरी घाट की दुर्दशा को देखकर श्रद्धालुओं की भावनाएं भी खासी आहत हैं। यमुना नदी के मौज गिरी घाट के यह हालत तब हैं जबकि जनवरी 2024 में आयोजित होने वाले माघ मेले की तैयारी शुरू हो चुकी है।
जबकि जनवरी 2025 में आयोजित होने वाले महाकुंभ को लेकर गंगा और यमुना नदियों पर सात नए घाटों का भी निर्माण किया जा रहा है। अब बड़ा सवाल यह है कि जब पुराने स्नान घाटों का ही रखरखाव और साफ सफाई नहीं हो रही है तो नए घाटों की क्या स्थिति रहेगी। यही नहीं मौज गिरी घाट पर स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 का एक बोर्ड भी लगा हुआ है। यह बोर्ड मौज गिरी घाट की दुर्दशा को मुंह चिढ़ा रहा है। खास बात यह है कि इस घाट का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों कराया गया है।