यूपी में यौन शोषण संबंधी साइबर क्राइम बढ़ गए हैं। वहीं, साइबर अपराधों के मामले में यूपी देश में आठवें स्थान पर है। पढ़ें, एनसीआरबी की रिपोर्ट:
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में साइबर क्राइम की वजहों में यौन शोषण के सर्वाधिक 787 मामले महाराष्ट्र में हुए, जबकि 542 मामले यूपी में हुए। यदि अन्य राज्यों में होने वाले साइबर क्राइम की घटनाओं की दर से तुलना की जाए तो यूपी आठवें स्थान पर है।
यूपी में 2020 में साइबर क्राइम के 11,097, वर्ष 2021 में 8,829 और 2022 में 10,117 मामले दर्ज किए गए हैं। कर्नाटक में वर्ष 2022 में साइबर क्राइम के 10,741 मामले दर्ज हुए थे। बीते वर्ष यूपी में साइबर क्राइम के 45.3 प्रतिशत मामलों में ही अदालत में आरोप पत्र दाखिल हो सका।
यूपी में साइबर क्राइम के मामलों की वजहों पर गौर करें तो बीते वर्ष 37 मामले आपसी रंजिश, 108 मामले गुस्से की वजह से, 4,506 धोखाधड़ी के उद्देश्य से, 1,250 वसूली के लिए, 883 छवि धूमिल करने के मकसद से और 58 मामले प्रैंक (मजाक) करने की वजह से अंजाम दिए गए थे।
इसके अलावा 542 यौन शोषण, 57 राजनीतिक कारणों से और 13 देश के प्रति नफरत में किए गए थे। साइबर क्राइम में पुलिस ने बीते वर्ष 7,122 जालसाजों को गिरफ्तार भी किया। यूपी में बीते वर्ष पोर्नोग्राफी के सर्वाधिक 450 मामले भी दर्ज हुए।
लेकिन पर्यावरण संबंधी अपराधों में आई कमी
यूपी में पर्यावरण संबंधी अपराधों में लगातार कमी दर्ज की गई है। 2020 में पर्यावरण संबंधी अपराध के 2,981 मामले यूपी में दर्ज किए गए थे। 2021 में ये घटकर 1,573 और 2022 में ये 1,486 रह गई। बीते वर्ष पर्यावरण संबंधी अपराध के दर्ज मामले में वन्य संरक्षण अधिनियम के तहत 1,201, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के 120, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के 103, वायु एवं जल प्रदूषण के छह, सिगरेट व तंबाकू उत्पादों से संबंधित 55 और ध्वनि प्रदूषण का एक मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने इनमें से 96.2 प्रतिशत मामलों में अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया।