महाराष्ट्र के बुलढाणा की रहने वाली यह महिला अब तक 51 हजार सांपों को पकड़ चुकी है, यही नहीं यह महिला जहरीले सांपों को अपना दोस्त मानती हैं। इस महिला को लोग ‘स्नेक दीदी’ के नाम से जानते हैं। इनके लिए कहा जाता है कि, सांप इन्हें देख अपने आप इनके पास आ जाते हैं। 12 साल की उम्र से सांपों को पकड़ने का काम करने वाली इस महिला का नाम वनिता बोरहाडे है।
51 हजार से ज्यादा सांपों को पकड़ने के दौरान आज तक एक भी सांप ने इन्हें न तो काटा और न ही जख़्मी किया। बड़े-बड़े और जहरीले सांप इन्हें अपना दोस्त मानते हैं देखते ही पास चले आते हैं। अपने एक्सपीरियंस के चलते वनिता सांप को देखते ही उसके जहरीले और खतरनाक होने का अंदाजा लगा लेती हैं।
अपने अनुभव के आधार पर वनिता ने कई बार मोबाइल फोन की रोशनी में मण्यालर जैसे जहरीले सांपों को पकड़ा है। कई हजार सांपों को पकड़ने वाली वनिता को महाराष्ट्र की सबसे बड़ी सर्प मित्र के रूप में जाना जाता है।
वनिता 35 साल पहले जब ‘सर्प मित्र’ शब्द प्रचलित भी नहीं हुई था तब से सांपों को पकड़ने का काम कर रही हैं। शुरू में लोगों को लगता था कि वे सड़कों पर तमाशा दिखाती हैं और जादू से इन सांपों को पकड़ती हैं। वक्त बीतने के साथ-साथ लोगों को वनिता का काम समझ में आया और लोग उन्हें ‘सांप वाली दीदी’ बुलाने लगे।
शहर में जिस किसी को सांप नजर आता है वह उसे मारने या पकड़ने की जगह फोन कर इसकी जानकारी उन्हें देता है। सांप पकड़ने के दौरान वनिता अपने पास किसी तरह का हथियार या दस्ताने नहीं पहनती। सांप पकड़ने के बाद उसे किसी को देने की जगह जंगल में सुरक्षित स्थान पर छोड़ देती हैं।
जिले के मेहकर तहसील के एक किसान परिवार में जन्मी वनिता बोरहाडे बचपन से ही जंगलों में अपने आदिवासी दोस्तों के साथ घूमी हैं। नदी के पानी में मछली पकड़ते-पकड़ते वनिता ने सांप पकड़ना सीखा। शादी के बाद पति से मिले प्रोत्साहन से वनिता ने अपने शौक को प्रोफेशन बना लिया। सांपों को जीवनदान देने का काम करने वाली वनिता को सरकार की ओर से भी कई बार सम्मानित भी किया गया है। इनकी जीवनी टीचर डिप्लोमा कोर्स के पाठ्यक्रम में भी शामिल की गई है। वे स्कूल के बच्चों को सांप पकड़ने की ट्रेनिंग देने का काम भी करती हैं।