हल्द्वानी के बनभूलपुरा में कथित अवैध धर्म स्थल को तोड़ने के विरोध में आठ फरवरी को हिंसा की चिंगारी भड़ गई। उपद्रवियों ने स्थानीय थाने को जला दिया। पब्लिक के वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। कई घंटे तक नगर निगम, जिला प्रशासन, पुलिस फोर्स और मीडिया कर्मियों पर पत्थरों की बारिश की गई, जिससे बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स के जवान, नगर निगम के कर्मचारी और मीडिया कर्मी घायल हुए, जिनका अब भी इलाज चल रहा है।
सवालः खुफिया एजेंसियों का इनपुट था कि अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने से हिंसा भड़क सकती है, फिर भी नगर निगम, प्रशासन और पुलिस की टीम मौके पर अतिक्रमण तोड़ने क्यों गई?
जवाब: एक बात सभी को समझनी होगी। नगर निगम, जिला प्रशासन या पुलिस फोर्स किसी देश की सीमा पर जंग लड़ने नहीं जा रही थी। सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने की कार्रवाई की जा रही थी। अतिक्रमण को तोड़ने के लिए हमारे पास पर्याप्त फोर्स थी। पूरी प्लानिंग और तय समय सीमा के तहत एक्शन लिया गया। ऐसा नहीं है कि हमने उसी दिन कोई कदम उठाया। पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से उस इलाके में सरकारी जमीन को कब्जे में लिया जा रहा था। एक दिन भी कुछ नहीं हुआ। नजूल जमीन में डेढ़ साल से लगातार कार्रवाई हो रही है।
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