वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Form) ने Energy Transition Index के देशों की लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में यूरोपीय देशों का दबदबा देखने को मिला है। भारत को इस लिस्ट में 63वां मिला है और चीन को 20वां स्थान दिया गया है। वहीं इस लिस्ट में टॉप पर स्वीडन है। टॉप-5 देशों में डेनमार्क फिनलैंड स्विटजरलैंड और फ्रांस का नाम है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Form) ने Energy Transition Index में शामिल देशों की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में भारत को 63वां स्थान दिया गया है। एनर्जी इक्विटी, सिक्योरिटी और सस्टेनेबिलिटी में महत्वपूर्ण सुधार के बाद भारत को यह रैंक दी गई।
इस इंडेक्स में यूरोपीय देशों का वर्चस्व रहा। सबसे टॉप पर स्वीडन है और इसके बाद डेनमार्क, फिनलैंड, स्विटजरलैंड और फ्रांस टॉप-5 में है। चीन को 20वां स्थान दिया गया है।
भारत और चीन तथा ब्राजील जैसे कुछ अन्य विकासशील देशों द्वारा दिखाया गया सुधार महत्वपूर्ण है। भारत में की गई विभिन्न पहलों पर ध्यान देते हुए, डब्ल्यूईएफ ने कहा कि देश ऐसे परिणाम तैयार करने में अग्रणी है जिन्हें अन्यत्र दोहराया जा सकता है।
इसके आगे डब्ल्यूईएफ ने कहा कि सरकारें जागरूकता पैदा करने और नीतिगत हस्तक्षेप पर भी विचार कर सकती हैं। उदाहरण के तौर पर ऊर्जा-कुशल निर्मित बुनियादी ढांचे के लिए दिशानिर्देश और रेट्रोफिटिंग के लिए प्रोत्साहन पर विचार कर सकती है ताकि तेजी से अपनाने के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार किया जा सके।
डब्ल्यूईएफ ने कहा
विकासशील दुनिया के पास नियमों को फिर से लिखने और ऊर्जा मांग को सफलतापूर्वक बदलने का रास्ता दिखाने का अवसर है। रिवर्स इनोवेशन का एक उदाहरण स्केलेबल इनोवेशन है जो विकसित देशों में शुरू होता है और फिर दुनिया भर में फैलाया जाता है।”
चीन और भारत की भूमिका पर WEF ने कहा कि वैश्विक आबादी की लगभग एक तिहाई के साथ ये दोनों देश महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
वैश्विक स्तर पर आई रिपोर्ट के अनुसार अधिक न्यायसंगत, सुरक्षित और टिकाऊ एनर्जी सिस्टम में ऊर्जा परिवर्तन अभी भी प्रगति पर है, लेकिन दुनिया भर में बढ़ती अनिश्चितता के कारण इसकी गति कम हो गई है।
WEF ने इनकम जनरेट के लिए ऊर्जा का लाभ उठाने और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उत्पादक उपयोग के माध्यम से सूक्ष्म उद्यमों का समर्थन करने पर भारत के फोकस पर भी ध्यान दिया।