पीएम मोदी के चुनाव को रद्द कराने हाईकोर्ट पहुंचे संत को कानूनी सलाह लेने की मोहलत

यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की अदालत ने दिया है। याची संत ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी को चुनावी फायदा पहुंचाने के लिए उनका नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया।

प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले संत विजय नंदन को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानूनी सलाह लेने की मोहलत दी है। साथ ही कोर्ट ने याचिका दाखिल करने में हुई देरी पर भी हलफनामा मांगा है। अब मामले की सुनवाई 18 अक्तूबर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की अदालत ने दिया है। याची संत ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी को चुनावी फायदा पहुंचाने के लिए उनका नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया। चुनाव याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन रद्द करने, याची के नामांकन को वैध करार देकर वाराणसी सीट पर फिर से चुनाव कराने, उचित मुआवजा दिए जाने और निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की गई है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि चुनाव याचिका पहली बार तीन सितंबर को पेश की गई थी। रिपोर्टिंग सेक्शन ने समय सीमा से 19 दिन बाद दाखिल होने की रिपोर्ट लगाई है। हालांकि, देरी की माफी के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया है। कोर्ट ने याची से पूछा कि क्या वह इस पहलू पर कानूनी राय लेना चाहते हैं या समय लेना चाहते हैं। याची ने समय की मांग की। इस पर कोर्ट ने याचिका को 18 अक्तूबर को सूचीबद्ध करने आदेश दे दिया।

याची विजय मध्य प्रदेश सिवनी जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने बीते लोकसभा चुनाव में वाराणसी से नामांकन पत्र भरा था। लेकिन बिना कोई कारण दर्शाए उनका नामांकन निरस्त कर दिया गया था। इसी को आधार बनाते हुए उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयोग सहित जिला निर्वाचन अधिकारी वाराणसी और पीएम नरेंद्र मोदी को प्रतिवादी बनाते हुए चुनाव याचिका दाखिल की है।

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