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बिहार: तेजस्वी ने बाढ़ को बताया कुसहा त्रासदी जैसा

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एनडीए की नीतीश सरकार ने केंद्र की यूपीए सरकार से एक लाख टन अनाज की मांग की थी लेकिन केंद्र की यूपीए सरकार ने प्रभावित लोगों की मदद एवं राहत के लिए एक लाख 25 हजार टन अनाज बिहार को दिया।

बिहार में बाढ़ पर सियासत तेज हो गई है। अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार पर कुसहा त्रासदी की याद दिला दी। इतनी नहीं तेजस्वी ने यहां तक पूछा दिया कि नीतीश जी आप पीएम मोदी से मिलने से हिचकते क्यों हैं? बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए पीएम से बात क्यों नहीं करते हैं। तेजस्वी यादव ने बुधवार सुबह सोशल मीडिया पर लिखा कि 2008 में बिहार में आई बाढ़ को याद कीजिए।

तब केंद्र में यूपीआई की सरकार थी। कांग्रेस के बाद केंद्र में दूसरी सबसे बड़ी और शक्तिशाली पार्टी राजद और उनके नेता केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद के आग्रह पर प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी जी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के सर्वेक्षण पर बिहार आए थे। लालू जी ने सकारात्मक राजनीति का अकल्पनीय व अविस्मरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए प्रधानमंत्री को बाढ़ की भयावह स्थिति से अवगत करा इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कराया तथा उस दौर में यानी आज से 15 साल पूर्व केंद्र से तत्काल हजार करोड़ की विशेष सहायता राशि बिहार को दिलाई।

एक लाख टन अनाज की मांग की थी
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एनडीए की नीतीश सरकार ने केंद्र की यूपीए सरकार से एक लाख टन अनाज की मांग की थी लेकिन केंद्र की यूपीए सरकार ने प्रभावित लोगों की मदद एवं राहत के लिए एक लाख 25 हज़ार टन अनाज बिहार को दिया। जितना नीतीश सरकार ने मांगा उससे अधिक बिहार को दिया। नीतीश सरकार ने उसी अनाज को बचाकर रखा और 2010 के चुनावों से पूर्व गरीब जनता में यूपीए सरकार का दिया हुआ अनाज यह कर बांटा की नीतीश सरकार यह अनाज दे रही है। चुनावों में इसका फ़ायदा उठाया। केंद्र और बिहार की एनडीए सरकारें उत्तर बिहार के लोगों की जान और माल की क़ीमत बस चंद किलों अनाज से आंकती है। बार-बार तटबंध और बांध क्यों टूटते हैं इसका कारण भी सरकार को बताना होगा?

90 करोड़ की सहायता राशि भी रेल मंत्रालय से दिलाई
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने अपने पिता की तारीफ करते हुए कहा कि कुसहा त्रासदी के वक्त तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव ने बाढ़ पीड़ितों के लिए मुफ्त रेल चलायी तथा साथ ही 90 करोड़ की सहायता राशि भी रेल मंत्रालय से दिलाई। उन्होंने एक लाख साड़ी-धोती बँटवाई। कोसी क्षेत्र में रेलवे प्लेटफ़ार्म पर रेल के डिब्बों में बाढ़ राहत शिविर लगवाए। लालू जी ने अपने एक महीने की सैलरी, केबीसी में जीते हुए एक करोड़ रुपए, रेल मंत्रालय के सभी कर्मचारियों का एक दिन की सैलरी, आईआरसीटीसी, रेलवे ईस्ट जोन, वेस्ट जोन इत्यादि से भी सहायता राशि बिहार को दी।

44 हजार करोड़ की वित्तीय पैकेज दिलाया था
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पीने के पानी की कमी को देखते हुए लालू जी 20 हज़ार लीटर की क्षमता वाले 25 रेलवे टैंकर वहां भेजने के साथ साथ रेलवे की ओर से रेलनीर के पानी की एक लाख बोतलें तुरंत बिहार भेजी थी । उस दौर में लालू जी के प्रयासों से सब सहायता यूपीए सरकार ने की थी लेकिन उसका प्रचार-प्रसार नीतीश कुमार ने अपने नाम से किया। 2004 से 2009 तक लालू जी में बिहार को एक लाख 44 हज़ार करोड़ की वित्तीय पैकेज दिलाया था लेकिन उससे चेहरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चमकाया।

29 सांसद थे जबकि अब एनडीए के 30 सांसद
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उस वक़्त यूपीए के बिहार से 29 सांसद थे जबकि अब एनडीए के 30 सांसद है। एनडीए के 30 सांसद, बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्र में बिहार से एनडीए के सात केंद्रीय मंत्री कितने बेबस, लाचार और असहाय है कि इनके सहारे चल रही केंद्र सरकार से बिहार की विनाशकारी बाढ़ को ना आपदा घोषित करा सकते है और ना ही विशेष सहायता राशि की मांग सकते है। भाजपा के किसी भी केंद्रीय मंत्री और प्रधानमंत्री को बिहार नज़र नहीं आ रहा है? बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित कराने एवं सहायता राशि की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से क्यों नहीं मिलते जबकी बिहार के लाखों लोग एवं आधे से अधिक जिले बाढ़ से प्रभावित है? नीतीश कुमार जी प्रधानमंत्री से मिलने में हिचकते क्यों हैं? अब तेजस्वी यादव के इस पोस्ट के बाद सियासत तेज हो गई है।

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