Stock Market Crash अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत भारतीय शेयर बाजार में बुधवार को रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली थी। सेंसेक्स दोबारा 80 हजार के स्तर के पार पहुंच गया था। लेकिन गुरुवार को भारतीय बाजार ने एक दिन पहले की पूरी बढ़त गंवा दी। सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 1-1 फीसदी की गिरावट आई है। आइए इसकी वजह जानते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से बुधवार को भारतीय शेयर बाजार काफी उत्साहित था। दोनों प्रमुख सूचकांक यानी सेंसेक्स और निफ्टी में 1-1 फीसदी से अधिक का उछाल भी दिखा। सेसेंक्स तो दोबारा 80 हजार अंकों के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार पहुंच गया था।
लेकिन, गुरुवार को भारतीय बाजार ने एक दिन पहले की पूरी बढ़त गंवा दी। बुधवार को अमेरिकी बाजार में रिकॉर्ड तेजी के बावजूद सेंसेक्स और निफ्टी में 1-1 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। आइए जानते हैं कि भारतीय स्टॉक मार्केट में इस भारी गिरावट की वजह क्या है।
रुपये का रिकॉर्ड कमजोर होना
डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपया लगातार कमजोर हो रही है। यह 84.35 रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। इस दबाव का असर शेयर बाजार पर दिख रहा है, क्योंकि रुपये में कमजोरी का सीधा असर कंपनियों की कमाई पर भी दिखेगा। अगर रुपये में कमजोरी का सिलसिला बना रहता है, तो भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ भी प्रभावित हो सकती है।
फेड रिजर्व के फैसले का इंतजार
अमेरिकी फेडरल ब्याज आज यानी 7 नवंबर को नीतिगत ब्याज दरों पर फैसला भी करने वाला है। पिछली मीटिंग में उसने ब्याज दरों में आधा फीसदी की भारी कटौती की थी। हालांकि, अब इकोनॉमिक इंडिकेटर अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बेहतर होने का संकेत दे रहे हैं। ऐसे में निवेशकों के मन में उलझन है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों पर किस तरह का फैसला लेगा।
क्रूड ऑयल में आया उछाल
डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं, तो ईरान के ऑयल प्रोडक्शन की लिमिट घटा देंगे, ताकि उसकी आमदनी कम हो और वह आतंकवाद की फंडिंग न कर पाए। अब ट्रंप के जीतने के बाद आशंका है कि क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन और सप्लाई बाधित हो सकती है। इससे क्रूड की कीमतों में अस्थिरता और निवेशकों की चिंता बढ़ी है।
FII की रिकॉर्ड बिकवाली
फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FII) की भारतीय शेयर बाजार से निकासी लगातार जारी है। अक्टूबर में विदेशी निवेशकों भारतीय बाजार से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक निकाले थे। नवंबर में भी उनकी बिकवाली जारी है। इससे भारतीय बाजार को ठीक से संभलने का मौका नहीं मिल पा रहा है। एफआईआई ने बुधवार को भी 4,445.59 करोड़ रुपये के इक्विटी बेचे थे।
कंपनियों के कमजोर नतीजे
देश की अधिकतर कंपनियों का दूसरी तिमाही में वित्तीय प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 48 फीसदी कंपनियां अपने अर्निंग गाइडेंस को पूरा करने में नाकाम रहीं। ज्यादातर कंपनियों का वैल्यूएशन भी अधिक है। इससे निवेशक बिकवाली और मुनाफावसूली पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features