कर्नाटक में बिजली उपभोक्ताओं को अधिक बिजली बिल चुकाना होगा। कर्नाटक विद्युत विनियामक आयोग (केईआरसी) ने बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी कर उपभोक्ताओं को झटका दिया है।
एक अप्रैल से बिजली पर प्रति यूनिट 36 पैसे अतिरिक्त अधिभार या सरचार्ज के रूप में देना होगा। यह कदम केईआरसी द्वारा बिजली आपूर्ति कंपनियों (ईएससीओएम) को पेंशन और ग्रेच्युटी (पीएंडजी) योगदान में सरकार का हिस्सा उपभोक्ताओं से वसूलने की अनुमति देने के बाद उठाया गया है।
भाजपा ने फैसले को बताया जनविरोधी
भाजपा ने इस फैसले जनविरोधी करार देते हुए विरोध किया है।18 मार्च के केईआरसी आदेश में कहा गया है कि कर्नाटक सरकार के आदेश के बाद, आयोग ने ईएससीओएम को अपने उपभोक्ताओं से पेंशन और ग्रेच्युटी योगदान के सरकारी हिस्से को ‘पीएंडजी सरचार्ज’ के रूप में समान रूप से वसूलने की अनुमति दी है। सरचार्ज एक अप्रैल 2025 से वित्त वर्ष 2027-28 तक लागू रहेगा।
’85 फीसदी आबादी पर नहीं पड़ेगा बढ़ी कीमतों का असर’
राज्य भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि जब से कर्नाटक में ”जनविरोधी” कांग्रेस सरकार सत्ता में आई है, उसने जो एकमात्र गारंटी लागू की है वह ”महंगाई” है। एक तरफ सरकार गारंटी (लोकलुभावन) योजनाएं लागू करने का दावा करती है, जबकि दूसरी तरफ लोगों पर महंगाई का बोझ डाल रही है।
आइएएनएस के अनुसार चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल ने कहा है कि बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी का असर 85 प्रतिशत आबादी पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उन्हें गृह ज्योति योजना के तहत 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलती है।