आज संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे हैं कई शुभ-अशुभ योग, पंचांग से जानें मुहूर्त

आज यानी 16 मई शुक्रवार के दिन ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है।पंचांग के अनुसार, इस तिथि पर बहुत से शुभ और अशुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए astropatri.com के पंडित आनंद सागर पाठक जी से जानते हैं आज का पंचांग।

आज का पंचांग

ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी- प्रात: 05:13 तक, 17 मई

संवत् – 2082

नक्षत्र – मूल नक्षत्र- दोपहर 04:07 तक, 16 मई

योग – सिद्ध योग प्रात: 07:15 तक, फिर साध्य योग

करण- बव शाम 04:41 तक 03:18 तक, बालव प्रात: 05:13 तक

वार – शुक्रवार

ऋतु – ग्रीष्म

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय- सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर

सूर्यास्त- शाम 7 बजकर 06 मिनट पर

चंद्रोदय- शाम 10 बजकर 39 मिनट पर

चंद्रास्त- सुबह 7 बजकर 51 मिनट, 17 मई

शुभ समय
अभिजीत मुहूर्त – प्रात: 11:50 से दोपहर 12:45 तक

अशुभ समय
राहुकाल – प्रात 10:36 से दोपहर 12:18 तक

गुलिक काल – प्रात: 07:12 से प्रात: 08:54 तक

यमगंडा – दोपहर 03:42 से शाम 05:24 तक

आज के नक्षत्र के बारे में जानिए
आज चंद्रदेव मूल नक्षत्र से पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।

मूल नक्षत्र- दोपहर 04:07 तक, 16 मई।

सामान्य विशेषताएं: इस नक्षत्र में जन्मे जातकों का स्थिर मन, अनुशासन, आक्रामक, उदारदानशील, ईमानदार, कानून का पालन करने वाला, उदास, अभिमानी होते हैं।

नक्षत्र स्वामी: केतु

राशि स्वामी: बृहस्पति

देवता: निरति (विनाश की देवी)

प्रतीक: पेड़ की जड़ें

गणेश पूजन से पूरी होंगी इच्छाएं
ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। यह दिन भगवान गणेश जी को समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी विघ्न (रुकावटें) दूर होते हैं और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

जो भी व्यक्ति इस दिन श्रद्धा से व्रत रखता है और गणेश जी की पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। खास बात यह है कि इस बार संकष्टी चतुर्थी शुक्रवार को पड़ रही है, जो माता लक्ष्मी का दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन पूजा करने से श्री गणेश और मां लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है।

पूजा कैसे करें?
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

गणेश जी को दूर्वा, मोदक और लाल फूल अर्पित करें।

“ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें।

शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें और फिर व्रत खोलें।

अशुभ समय खंड की सरल समझ
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक दिन को कुछ विशेष समय खंडों में बांटा गया है, जिनमें से कुछ को नए अथवा महत्वपूर्ण कार्य आरंभ करने के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है।

राहु काल- यह समय राहु देव से संबंध रखता है। इसे भ्रम, अनिश्चितता और अप्रत्याशित परिणामों से जुड़ा माना जाता है। आमतौर पर इस काल में यात्रा, निवेश, या नए कार्य की शुरुआत न करने की हिदायत है। ध्यान, साधना और आत्मचिंतन के लिए यह समय उपयुक्त है।

यम गंड- यह समय यम देव से जुड़ा होता है, जो अनुशासन और नियति का प्रतीक हैं। यम गंड में भी महत्वपूर्ण कार्य या यात्रा आरंभ करने से बचने की सलाह दी जाती है। यह काल आत्मनियंत्रण और संयम के लिए उपयुक्त माना गया है।

गुलिक काल- यह काल शनि देव के पुत्र गुलिक से संबंधित है। यह समय कुछ परंपराओं में निरपेक्ष या मध्यम रूप से शुभ माना गया है। कई ग्रंथों में तो इसे दीर्घकालिक कार्यों या आध्यात्मिक अभ्यास के लिए अच्छा बताया गया है।

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