सोशल कॉन्टेक्ट वाली जॉब्स से बढ़ सकता है डायबिटीज का रिस्क

डायबिटीज के मामले लोगों में तेजी से बढ़ रहे हैं जो कि चिंता का विषय है। इस बीमारी के पीछे सबसे बड़ा हाथ खराब लाइफस्टाइल का होता है। हमारा काम हमारी लाइफस्टाइल को काफी हद तक प्रभावित करता है और अब एक स्टडी में यह भी दावा किया गया है कि आपका काम भी डायबिटीज के रिस्क को बढ़ा सकता है। आइए जानें क्या कहती है यह स्टडी।

वर्कप्लेस पर तनाव या असुरक्षा डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकती है। आक्यूपेशनलएंड एनवायरमेंटल मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, लोगों से संपर्क वाले कार्यों में अपेक्षित सहभागिता न मिलने पर होने वाला तनाव डायबिटीज 24 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।

यह विश्लेषण 2005 में स्वीडन में पंजीकृत अध्ययन समूह के लगभग 30 लाख लोगों के डाटा पर आधारित है जिसमें प्रतिभागियों की उम्र 2005 में 30-60 वर्ष थी और उनका डायबिटीज का कोई इतिहास या दवाओं का सेवन नहीं था।

स्वीडन के शोधकर्ताओं के मुताबिक, मेटाबालिक विकार (एक ऐसी स्थिति है जो तब होती है जब शरीर में असामान्य रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं जिससे शरीर द्वारा ऊर्जा का उपयोग करने की प्रक्रिया में समस्या आती है) का जोखिम महिलाओं में सबसे अधिक पाया गया और ये भावनात्मक रूप से मांग वाले कार्यों में लगी थीं लेकिन कार्यस्थल पर उनका सामाजिक समर्थन कम था। शोधकर्ताओं ने कहा कि ये परिणाम बताते हैं कि निरंतर जुड़ाव की आवश्यकता वाले कार्य तनावपूर्ण हो सकते हैं।

तनाव का लगातार स्तर बढ़ा देता है कार्टिसोल
विज्ञानियों ने कहा कि तनाव के पुरानी या लगातार स्तर जो अंतःस्रावी प्रणाली (जो हार्मोन काउत्पादन करती है) को प्रभावित करते हैं, वो तनाव हार्मोन ‘कार्टिसोल’ का अधिक उत्पादन और इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ा सकते हैं। टीम ने कहा कि कार्यस्थल पर सामाजिक समर्थन की कमी के कारण ये जैविक प्रक्रियाएं बिगड़ सकती हैं। कार्टिसोल एक स्टेरायड हार्मोन है जो शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करता है, खासकर तनाव के प्रति प्रतिक्रिया में। यह हार्मोन एड्रेनल ग्रंथियों द्वारा बनाया जाता है और इसे “तनाव हार्मोन” भी कहा जाता है क्योंकि तनाव के समय शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाती है।

कार्टिसोल का शरीर के लिए एक आवश्यक हार्मोन है और इसके कई अन्य कार्य भी हैं, जैसे: रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करना, सूजन को कम करना और नींद-जागने के चक्र को प्रभावित करना। अध्ययनकर्ताओं ने इस दौरान तनाव के कारणों व इससे बचाव के उपाय भी सुझाए।

उन्होंने कहा, “कार्यस्थल पर लोगों के साथ संपर्क के संबंध में, भावनात्मक प्रबंधन की अपेक्षाएं होती हैं जहां लोगों को सामाजिक, व्यावसायिक और संगठनात्मक मानदंडों के अनुसार भावनाओं को व्यक्त करने या छिपाने की आवश्यकता होती है। जब प्रदर्शित भावना और वास्तविक भावना मेल नहीं खाती है तो यह विशेष रूप से तनावपूर्ण होता है। ऐसे में भावनाओं का प्रबंधन आवश्यक है।” पर सामाजिक समर्थन की कमी के कारण ये जैविक प्रक्रियाएं बिगड़ सकती हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि सामाजिक संपर्क वाले कार्यों में आपके साथ-साथ लोगों की सहभागिता की भी बराबर भूमिका होती है।

किस तरह किया गया अध्ययन
अध्ययन के दौरान करीब 20 नौकरी की भूमिकाओं का विश्लेषण किया गया जिनमें आमने-सामने संपर्क की अधिक आवश्यकता थी जैसे सेवा, स्वास्थ्य देखभाल, आतिथ्य और शिक्षा इत्यादि। परिणामों में 2006 से 2020 के बीच, दो लाख से अधिक लोगों में टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने की पुष्टि हुई।

प्रभावित लोग आमतौर पर बड़े थे, स्वीडन के बाहर जन्मे थे और उनकी शिक्षा का स्तर और नौकरी पर नियंत्रण कम था। लेखकों ने लिखा, “भावनात्मक मांगों और आमने-सामने की बातचीत के उच्च स्तर क्रमशः पुरुषों में टाइप 2 डायबिटीज के 20 प्रतिशत मामले थे जबकि महिलाओं में 24 प्रतिशत।” यानी महिलाओं में यह समस्या ज्यादा थी इसलिए उनका प्रतिशत भी अधिक निकला।

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