सावन में शिव आराधना से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

सावन मास (Sawan 2025) भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम है। श्रावणी नक्षत्र के कारण यह मास श्रावण कहलाता है। स्कंद महापुराण के अनुसार सती ने पार्वती के रूप में शिव को प्राप्त किया। शिव पूजा जलाभिषेक और ओम नमः शिवाय का जाप कष्ट दूर करते हैं। शिव का सरल जीवन और भेदभाव रहित व्यवहार प्रेरणा देता है।

भगवान शिव की आराधना के लिए सावन या श्रावण को सबसे उत्तम माना जाता है। पूजन और आराधना के लिए भी यह ज्यादा फलदायी और महत्वपूर्ण है। इस दौरान आराधना से भगवान भोलेनाथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है। श्रावणी नक्षत्र होने से इस मास का नामकरण श्रावण हुआ है। सावन में भगवान शिव के स्मरण मात्र से ही सभी सिद्धियां पूरी होती है।

स्कंद महापुराण में भगवान कहते हैं कि मेरी प्रिया सती ने प्रजापति दक्ष के यज्ञ में अपनी देह का त्याग कर हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में सावन मास में ही मुझे प्राप्त किया था।

भगवान शिव की महिमा
इसलिए यह मास मुझे अत्यंत प्रिय है। इस मास में पृथ्वी भी जल और हरियाली से तृप्त हो जाती है। शिव पूजा, अर्चना, जलाभिषेक, रूद्राभिषेक, तांडव स्त्रोत, पंचाक्षर ओम नमः शिवाय जप व पूजन सभी कष्ट दूर करता है।

इस महीने शिवभक्त कांवड़ यात्रा निकालते हैं। भगवान शिव के व्यक्तित्व में कई ऐसे गुण हैं, जिन्हें अपनाकर मनुष्य एक श्रेष्ठ जीवन जी सकता है।

शिव जटाधारी हैं
शिव जटाधारी हैं, भस्म लपेटे हैं और साधारण वस्त्र पहनते हैं। यह हमें सिखाता है कि सच्चा सुख सरलता में है। उनका व्यवहार हमें भेदभाव रहित दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देता है। सावन का समापन श्रावण मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हो रहा है।

सावन के चार सोमवार को तीर्थनगरी में भगवान ओंकारेश्वर और ममलेश्वर की पालकी यात्रा धूमधाम से निकाली गई।अब भादौ के दूसरे सोमवार को भगवान ओंकारेश्वर परंपरा अनुसार ओंकार पर्वत की परिक्रमा करेंगे।

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