उत्तर प्रदेश के आगरा में अब बेसमेंट में कोई अस्पताल संचालित नहीं होगा। ऑपरेशन थियेटर (ओटी), आईसीयू और वार्ड का भी संचालन नहीं होगा। बेसमेंट में मरीज भर्ती मिलने पर चिकित्सक और अस्पताल के विरुद्ध कार्रवाई होगी। यह आदेश मंगलवार को जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने कलेक्ट्रेट में आयोजित पीसीपीएनडीटी जिला सलाहकार समिति की बैठक में दिए।
डीएम ने सीएमओ डाॅ. अरुण श्रीवास्तव को बेसमेंट में संचालित अस्पताल, क्लीनिक, डे-केयर सेंटर की जांच के निर्देश दिए हैं। 15 दिन में सीएमओ को सर्वे रिपोर्ट देनी होगी। जिले में करीब 1300 चिकित्सा संस्थान 2024 में पंजीकृत थे। 2025-26 के लिए पंजीकरण चल रहे हैं। अभी तक करीब 700 चिकित्स संस्थान सीएमओ कार्यालय में पंजीकृत हुए हैं।
मंगलवार को डीएम ने अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर्स की जांच, मुखबिर के माध्यम से लिंग परीक्षण करने वालों को चिह्नित कराने और अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर चिकित्सक की बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य करने के निर्देश दिए। बैठक में तीन नए अल्ट्रासाउंड सेंटर के आवेदन स्वीकृत हुए, जबकि आठ अल्ट्रासाउंड सेंटरों के नवीनीकरण की संस्तुति की गई।
डीएम ने बेसमेंट में संचालित अस्पतालों के अलावा अल्ट्रासाउंड सेंटर्स की जांच के लिए अपर नगर मजिस्ट्रेट व पीसीपीएनडीटी ((गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम) के नोडल अधिकारी की टीम बनाई है। टीम सेंटर की जियो टैगिंग करेगी। फोटोग्राफी सहित रिपोर्ट देगी। सीएमओ डॉ.अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि शहर में करीब 300 अल्ट्रासाउंड सेंटर हैं, जिनकी मशीनों से लेकर चिकित्सक की जांच कर रिपोर्ट डीएम को भेजी जाएगी।
निरस्त सेंटर में सील मशीनों की होगी जांच
जिन अल्ट्रासाउंड सेंटर्स के आवेदन निरस्त हो चुके हैं, उनकी मशीनें भी सील हैं। डीएम ने ऐसी सभी मशीनों की जांच के निर्देश दिए हैं। सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले एक साल में अवैध अस्पताल संचालकों के विरुद्ध केस दर्ज कराया है। 50 से अधिक अस्पतालों की जांच की गई है।