डायबिटीज के इन दो टाइप्स से आप भी तो नहीं हैं अनजान?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, डायबिटीज एक आम लेकिन गंभीर बीमारी बन चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में हर 7 में से 1 व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है और समय के साथ ये संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अगर समय रहते इसपर ध्यान न दिया जाए बढ़े हुए शुगर लेवल के कारण किडनी, आंख, तंत्रिकाओं और दिल की सेहत पर भी इसका असर हो सकता है।

डायबिटीज के टाइप-2 प्रकार को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा होती है। ये लाइफस्टाइल में गड़बड़ी से संबंधित बीमारी है, पर क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज कई और भी प्रकार की होती है, जिनमें से कुछ के बारे में लोगों को कम जानकारी है और इसको लेकर चर्चा भी बहुत कम होती है।

पहले डायबिटीज और इसके सबसे कॉमन प्रकार के बारे में जानिए
डॉक्टर कहते हैं, डायबिटीज तब होती है जब शरीर में इंसुलिन हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। इंसुलिन वह हार्मोन है जो शरीर में ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलने का काम करता है। जब इंसुलिन की कमी होती है या ये ठीक तरीके से काम नहीं कर पाती है, तो ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है जिससे डायबिटीज की जटिलताएं हो सकती हैं।

डायबिटीज के दो प्रकार को लेकर सबसे ज्यादा बात की जाती है।
टाइप-1 डायबिटीज- ये ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर खुद ही इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट करने लगती है। यह अक्सर बच्चों या युवाओं में होती है।
टाइप-2 डायबिटीज- ये सबसे आम प्रकार का मधुमेह है, जो गलत खानपान, मोटापा, तनाव और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण होता है।

डायबिटीज के अन्य प्रकारों को भी जानिए
टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के अलावा भी कुछ प्रकार के डायबिटीज होते हैं, जिनको लेकर अक्सर बहुत कम चर्चा होती है, पर इसके बारे में जानकारी होना जरूरी है। हाल के वर्षों में डॉक्टरों ने डायबिटीज के एक और प्रकार टाइप-1.5 के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई है। इसे लाडा के नाम से भी जाना जाता है। रिपोर्ट्स बताती हैं, भारत में डायबिटीज टाइप 1.5 के मरीजों की संख्या 5-10% तक हो सकती है।
यह टाइप-1 डायबिटीज का एक सबटाइप है। शोधकर्ताओं का मानना है कि आमतौर पर 30 वर्ष से अधिक आयु वालों में इस समस्या का निदान होता है। गौर करने वाली बात यह भी है कि इसके अधिकतर लक्षण टाइप-2 की तरह ही हो सकते हैं। यानी यह हाइब्रिड रूप है, जिसे पहचानना और समय पर इलाज करना और भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे लोगों को भी इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता होती रह सकती है। यह बीमारी धीरे-धीरे शरीर में विकसित होती है।

टाइप-5 डायबिटीज
टाइप 1.5 डायबिटीज की ही तरह से दुनिया के कई देशों में टाइप-5 डायबिटीज को लेकर भी डाक्टर्स चर्चा करते हैं। ये युवा और दुबले-पतले लोगों को अधिक प्रभावित करती है। माना जाता है कि दुनियाभर में 2.5 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं।
एक तरफ जहां टाइप-2 डायबिटीज के लिए खान-पान में गड़बड़ी (हाई कैलोरी) को प्रमुख कारण माना जाता है, वहीं टाइप-5 डायबिटीज पर्याप्त भोजन न करने से शुरू होता है। यानी ये नई बीमारी मुख्य रूप से उन किशोरों और युवा वयस्कों में देखी जा रही है जिनका वजन कम होता है या जिन्होंने बचपन में गंभीर खाद्य असुरक्षा का अनुभव किया है क्योंकि कुपोषण उनकी इंसुलिन स्रावित करने की क्षमता को प्रभावित करता है।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com