कर्मचारियों की बचत को सुरक्षित रखने के लिए चलाए जा रहे ईपीएफ (EPF) स्कीम को लेकर अकसर सवाल उठता है कि क्या कर्मचारी 12% से ज्यादा रकम जमा कर सकते हैं? EPFO ने इसको लेकर साफ नियम बताए हैं, जो हर नौकरीपेशा व्यक्ति को जानना जरूरी है। आइए समझते हैं EPF में अतिरिक्त योगदान, उसकी लिमिट और योगदान दर से जुड़े दो अहम सवाल।
1. क्या मैं 12% से ज्यादा राशि जमा कर सकता ?
जी हां। EPFO नियमों के अनुसार कोई भी कर्मचारी अपनी सामान्य 12% EPF कटौती से ज्यादा पैसा स्वैच्छिक योगदान (Voluntary Contribution) के रूप में जमा कर सकता है। यह योगदान कर्मचारी की इच्छा पर निर्भर करता है, यानी चाहे तो ज्यादा जमा करे या न करे। इसका फायदा यह है कि आपकी रिटायरमेंट सेविंग तेजी से बढ़ती है, और EPF पर मिलने वाला ब्याज भी बढ़े हुए योगदान पर लागू होता है।
हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि सामान्य + अतिरिक्त योगदान मिलाकर कुल राशि 15,000 रुपए प्रति माह की सैलरी बेस पर ही जमा की जा सकती है। नियोक्ता यानी कंपनी अपने हिस्से का योगदान केवल कानूनी दर, यानी 12%, तक ही सीमित रख सकती है।
अगर कर्मचारी की सैलरी 15,000 रुपए से ज्यादा है और वह अपनी पूरी वास्तविक सैलरी पर EPF कटवाना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकता है। लेकिन इसके लिए असिस्टेंड प्रोविडेंट फंड कमिश्नर (APFC) और रीजनल प्रोविडेंट फंड कमिश्नर (RPFC) की अनुमति आवश्यक है, जैसा कि EPF स्कीम के पैरा 26(6) में प्रावधान है।
2. सदस्य के लिए EPF योगदान दर क्या है?
EPFO के नियमों के मुताबिक, कर्मचारी अपने बेसिक + डीए + रिटेनिंग अलाउंस का 12% EPF में जमा करता है। नियोक्ता भी 12% योगदान देता है, लेकिन उसका पूरा हिस्सा EPF में नहीं जाता। 8.33% पेंशन फंड (EPS) में और 3.67% EPF में जमा होता है। और इस तरह नौकरीपेशा व्यक्ति के भविष्य, पेंशन और बचत सभी का संतुलन EPF स्कीम के तहत सुरक्षित रहता है।
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