नई दिल्ली। आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर की संस्था ऑर्ट ऑफ लिविंग को एनजीटी ने लताड़ा है। एनजीटी ने रविशंकर को लताड़ लगाते हुए कहा कि आपको अपनी जिम्मेदारी का अहसास है। विश्व आध्यात्मिक सम्मेलन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त तेवर अपनाए हैं।
एनजीटी ने रविशंकर को लताड़ लगाते हुए दिखाई नाराजगी
विश्व सांस्कृतिक महोत्सव से यमुना को हुए नुकसान के मामले में हुई सुनवाई के दौरान एनजीटी श्रीश्री रविशंकर पर काफी नाराज दिखा। कोर्ट हाल में दिए उस बयान पर नाराज था जिसमें श्रीश्री रविशंकर ने कहा था कि वो जुर्माना क्यों भरें, जुर्माना तो केन्द्र सरकार, दिल्ली सरकार और खुद एनजीटी को भरना चाहिए क्योंकि विश्व सांस्कृतिक महोत्सव को कराने की इजाजत हमें इनसे ही मिली थी। नाराज एनजीटी ने कहा कि आपने यहां याचिका डाली हुई है और आप सोचते हैं कि आपके पास आजादी है कि जो चाहें आप बोलते रहें। क्या आपको अपनी जिम्मेदारी का अंदाजा है। आपके ये बयान हमारे लिए चौंकाने वाले हैं। कोर्ट अब इस मामले में सुनवाई 9 मई को करेगा।
नुकसान को ठीक कराने का खर्च 42 करोड़
दरअसल एनजीटी के आदेश पर बनायी गई समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर की संस्था ऑर्ट ऑफ लिविंग (AoL) के विश्व सांस्कृतिक महोत्सव से यमुना के डूब क्षेत्र को पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया है। श्रीश्री रविशंकर के इस कार्यक्रम से यमुना की पारिस्थितिकी को हुए भौतिक और जैविक नुकसान को ठीक करने में कुल 42 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। 10 वर्षों तक चलने वाले इस काम में जैविक नुकसान की भरपाई में 13.29 करोड़ रुपये तथा भौतिक क्षति को ठीक करने में 28.73 करोड़ रुपये का खर्च बैठेगा।
अपना पक्ष रखेगा आर्ट ऑफ लिविंग
आर्ट ऑफ लिविंग के प्रवक्ता जयदीप नाथ ने कहा कि आज की सुनवाई में हमने अपना पक्ष रखा है और आगे भी कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे। लेकिन ये कमेटी की रिपोर्ट बायस्ड है। हमें इस पर भरोसा नहीं है। हम कोर्ट के माध्यम से इसकी वैज्ञानिक तरीके से जांच कराना चाहते हैं। पहले इसी कमेटी ने 120 करोड़ का नुकसान दिखाया था और अब 42 करोड़ का नुकसान बताया है।