गुरुवार को ना ही कोई त्योहार था, ना ही किसी महापुरुष की जंयति थी, और ना कोई सरकारी छुट्टी. लेकिन, इसके बावजूद गाजियाबाद के करीब 128 प्राइवेट स्कूलों के दरवाजे बंद थे. स्कूलों का ये बंद एक सांकेतिक विरोध प्रदर्शन था. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से प्राइवेट स्कूल के मनमानी फीस की बढ़ोत्तरी को लेकर अभिभावक विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इस विरोध प्रदर्शन के बाद जिला प्रशासन ने स्कूल एसोसिएशन और अभिभावकों से बातचीत करके एडीएम की अध्यक्षता में एक जांच कमिटी का गठन किया था. जो स्कूलों के फाइनेंस और अकाउंट्स का ऑडिट कर अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंपेगी. लेकिन, इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया को जिला प्रशासन की ये सख्ती नागवार गुजरी. लिहाजा, प्राइवेट स्कूलों ने एक मीटिंग कर गुरुवार को स्कूल बंद करने का एलान कर दिया. जिसके बाद इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया के बैनर तले डीपीएस इंदिरापुरम, सेठ आंनदराम जयपुरिया स्कूल जैसे कई नामी-गिरामी 128 स्कूलों ने गुरुवार को छुट्टी कर दी.
स्कूल एसोसिएशन और अभिभावकों के बीच की लड़ाई
प्राइवेट स्कूलों ने मैसेज/नोटिस के जरिए अभिभावकों को बंद की जानकारी दी. लेकिन जानकारी के अभाव में कई अभिभावक गुरुवार की सुबह बच्चों को स्कूल छोड़ने पहुंचे, तो उन्हें बंद की जानकारी मिली. अभिभावकों की मानें तो प्राइवेट स्कूलों का इस तरह से एक दिन के लिए स्कूल बंद करना गैरकानूनी है. अभिभावकों ने ये भी कहा कि स्कूल एसोसिएशन और अभिभावकों के बीच की लड़ाई में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान नहीं होना चाहिए. दरअसल, अभिभावकों की मानें तो स्कूल नियमों की अनदेखी कर साल दर साल फीस में बेवजह बढ़ोत्तरी करते हैं, और जब अभिभावक उनके फीस बढ़ाने को लेकर सवाल करते हैं तो स्कूल अभिभावकों से बात तक नहीं करते. लिहाजा अभिभावकों ने मांग की है कि नियमों की अनदेखी करने वाले स्कूलों पर सख्त कार्रवाई की जाए.
वहीं इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया के बैनर तले स्कूल एसोसिएशन ने डीएम से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया के जिलाअध्यक्ष सुभाष जैन ने अभिभावकों के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि स्कूल नियमों के मुताबिक ही फीस बढ़ाते हैं. सुभाष जैन के मुताबिक अभिभावकों को स्कूल से कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि कुछ अभिभावक नेतागिरी करने के चक्कर में स्कूलों को परेशान करके दूसरे अभिभावकों को बहकाने का काम कर रहे हैं. जिसकी वजह से स्कूल का माहौल खराब हो रहा है. स्कूलों के मुताबिक डीएम की बनाई हुई कमिटी, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों के विरुद्ध बनाई गई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार निजी स्कूलों को अपने संस्थान के खर्चों के अनुसार फीस तय करने का अधिकार है.