जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है, जहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा को पूरी अहमियत दी जाती है.
उन्होंने भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले के पाकिस्तान के आरोप को भी सिरे से खारिज कर दिया. दरअसल, पाकिस्तान ने आरोप लगाया था कि भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले किए जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर आयोजित समीक्षा बैठक में रोहतगी के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया.
ये भी पढ़े : ईवीएम में गड़बड़ी साबित करने के लिए हैकाथन होगा: चुनाव आयोग!
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश
रोहतगी ने जोर देकर कहा कि भारत पूरी तरह से धर्म निरपेक्ष देश है. इसका अपना कोई राष्ट्रीय धर्म नहीं है. भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा की व्यवस्था की गई है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जहां विचार और अभिव्यक्ति की आजादी को अहमियत दी जाती है.
स्वतंत्र न्यायपालिका भी करती है अधिकारों की रक्षा
रोहतगी ने कहा कि भारत के लोग राजनीतिक स्वतंत्रता और अधिकारों को लेकर बेहद जागरूक हैं. बृहस्पतिवार को समीक्षा बैठक में रोहतगी ने दोहराया कि भारत में सरकार के साथ ही स्वतंत्र न्यायपालिका भी मानवाधिकार संरक्षण में अहम भूमिका निभाती है. याकूब मेनन का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि भारत में सुप्रीम कोर्ट रात दो बजे भी सुनवाई शुरू कर देती है. शीर्ष अदालत ने ट्रांसजेंडर के अधिकारों की रक्षा के लिए उनको तीसरे जेंडर का दर्जा दिया.
ट्रांसजेंडरों के अधिकारों पर कोर्ट ने दिया अहम फैसला
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि AFSPA वाले इलाके में सुरक्षाबलों को कानून कार्रवाई से छूट है. साथ ही अदालत ने सुरक्षाबलों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया.
पाकिस्तान ने उठाई थी अंगुली
यूएन मानवाधिकार परिषद की इस बैठक में सभी सदस्य देश अपने यहां के मानवाधिकार के रिकॉर्ड के दस्तावेज पेश करते हैं और फिर इसमें दूसरे देशों को सवाल उठाने का हक होता है. लिहाजा पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर भारत पर अंगुली उठाई, जिसका भारत ने करार जवाब दिया. इस दौरान इटली, इस्राइल और जापान ने भारत से अंतरराष्ट्रीय अभिसमय के तहत मृत्यु दंड खत्म करने को कहा. इस अभिसमय में भारत ने 19 साल पहले दस्तखत किए थे.