ट्रंप की नई नीतियों का सीधा असर देश-दुनिया की बड़ी आईटी कंपनियों पर साफ दिख रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टॉप it 7 कंपनियां करीब 56 हजार कर्मियों को इस साल नौकरी से निकाल सकती है। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक इस सात कंपनियों में इंफोसिस, विप्रो लिमिटेड, टेक महींद्रा, एचसीएल, अमेरी कॉन्जीनेंट, टीएक्ससी टेक्नोलॉजी और फ्रांस की केप्गेमीनी एसए शामिल हैं। इन कंपनियों में काम करने वाले लोगों की संख्या करीब 1.24 मिलियन है और यहां से करीब 4.5 फीसदी कर्मियों को निकाला जा रहा है।
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चौंका देने वाली बात है कि जहां एक तरफ कर्मियों को निकालने की बात चल रही है, वहीं ये कंपनियां नए लोगों को हायर भी करने जा रही है। इस पर कंपनियों का कहना है कि काम करने वालों को उनके परफोर्मेन्स के आधार पर ही निकाला जा रहा है। कंपनियों ने कहा कि ये पहली बार नहीं हो रहा है। पहले के आकंड़ों को देखा जाए तो करीब 1 से 1.5 फीसदी कर्मियों को इंडियन आईटी कंपनियों ने निकाला है। लेकिन इस बार ये आंकड़ा 2 से 6 फीसदी तक पहुंच गया है।
इंफोसिस के प्रवक्ता का कहना है कि हम कर्मियों को पहले ही टारगेट दे देते हैं, जिसके आधार पर उनका कंपनी में रुकना तय होता है। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि इस साल बड़ी तादाद में छटनी नहीं हो रही है। कंपनियों के एचआर ने इस मामले में बड़ी बात कही है। एचआर का कहना है कि डिजिटल बिजनेस पुराने बिजनेस से कही आगे है।
ऐसे में कोशिश की जाती है कि कंपनी के कर्मी भी इस तेजी के साथ चले, पर पुराने कर्मी पहले के तरीके ही अपनाते रहते हैं। ऐसे में नई तकनीक के कर्मी को कंपनी में लाना जरूरी होता है।अमेरिका में एच1 बी वीजा को लेकर समीक्षा का सीधा असर इन छटनी के जरिए दिख रहा है।