गोमती रिवरफ्रंट फिजुलखर्ची मामले की जांच कर रही रिटायर्ड जस्टिस आलोक कुमार की अध्यक्षता में गठित हुई 3 सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी सूत्रों की माने तो ….रिपोर्ट में सार्वजनिक धन की बर्बादी की बात आई सामनेजांच रिपोर्ट में टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं अपनाने पर सवाल जल्दबाजी में चहेते ठेकेदारों को दिया गया काम वाटर बस और फब्बारों से लेकर हर सामान काफी महंगी दरों पर खरीदा गया डीपीआर बनाने में भी गड़बड़ी की गई.
साफ सफाई करने के लिए भारी भरकम राशि का प्रोजेक्ट मंजूर किया लेकिन 8 किलोमीटर आगे निकलते ही गोमती में मिलने वाले नालों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया प्रोजेक्ट में तकनीकी मानदंडों की भी हुई अनदेखी.