चीन की वन बेल्ट, वन रोड (OBOR) पहल की जवाब में ईरान, रूस, भारत के संयोग वाले बहुपक्षीय परिवहन कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) का महत्व काफी बढ़ गया है. ये हाईवे हिन्द महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के जरिये कैस्पियन सागर से जोड़ेगा और फिर रूस से होते हुए उत्तरी यूरोप तक पहुंच बनाएगा.यह भी पढ़े: कपिल मिश्रा ने केजरीवाल सरकार पर फोड़ा एक नया ‘भ्रष्टाचार बम’, और पूछे ये 8 सवाल
विदेश मामलों के विशेषज्ञ ए सतोब्दन के मुताबिक, एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि आईएनएसटीसी के अमल में आने पर माल ढुलाई के समय और लागत में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आएगी. इस परियोजना में ईरान के चाबहार बंदरगाह की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, जिसका विकास भारत के सहयोग से होने जा रहा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि हमें चाबहार बंदरगाह का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करना चाहिए, जो हमारे लिए संपूर्ण मध्य एशिया के द्वार खोल देगा. इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस (आईडीएसए) से जुड़ी विशेषज्ञ एम एस रॉय की रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम और मध्य एशिया में भारत के सामरिक हितों और दक्षिण, मध्य एवं पश्चिम क्षेत्र के बीच वृहद आर्थिक व ऊर्जा सहयोग की जरूरत को देखते हुए विस्तारित पड़ोस की अवधारणा के लिए आईएनएसटीसी परियोजना महत्वपूर्ण है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साल 2015 में उफा में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान कहा था कि जब हम आगे देखते हैं तब हम अपने क्षेत्र में परिवहन और संचार नेटवर्क को बेहतर बनाने को आशान्वित हैं. हम इस दिशा में वृहद नेटवर्क बना सकते हैं, जो यूरेशिया के उत्तरी कोने से एशिया के दक्षिणी छोर तक फैला हो. आईएनएसटीसी इस दिशा में एक कदम है.
चीन के OBOR के जवाब में INSTC प्रोजेक्ट
चीन की ओर से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होते हुए वन बेल्ट, वन रोड परियोजना पर पहल तेज होने के बीच इस कॉरिडोर को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस अंतरराष्ट्रीय कॉरिडोर की परिकल्पना को सितंबर 2000 में आगे बढ़ाया गया था, जब सेंट पीटर्सबर्ग में इसको लेकर कुछ देशों के बीच सहमति बनी.
साल 2005 से 2012 तक इस परियोजना के विकास को लेकर रफ्तार काफी मंद रही थी. इस बारे में 2013 में पहला ड्राई रन संचालित किया गया. इस वर्ष अप्रैल में इस परियोजना को आगे बढ़ाने की पहल की गई है. विदेश मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 18 मई 2017 को भारत से रूस तक आईएनएसटीसी-एक्सप्रेस कॉरिडोर के विषय पर
विभिन्न पक्षों की सहभागिता वाले सम्मेलन में इसके संभावित मार्गों, इसे लोकप्रिय बनाने के उपायों, चाबहार बंदरगाह के अधिकतम उपयोग और इस बहुपक्षीय गलियारे से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई.
पीएम मोदी जा रहे हैं रूस
भारत और रूस के राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आईएनएसटीसी प्रोजेक्ट को काफी महत्व दिया जा रहा है. मोदी कुछ ही समय बाद रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं. इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 23 मार्च 2016 को भारत के अश्काबाद समझौते में सम्मिलित होने को मंजूरी दे दी थी. अश्काबाद समझौता मध्य एशिया एवं फारस की खाड़ी के बीच वस्तुओं की आवाजाही को सुगम बनाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारा है.
वाणिज्य मंत्रालस से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अश्काबाद समझौते के संस्थापक सदस्यों में यमन, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. इसके बाद इस समझौते से कजाकिस्तान भी जुड़ गया है. इस समझौते में सम्मिलित होने से भारत को यूरेशिया क्षेत्र के साथ व्यापार एवं व्यावसायिक मेल-जोल को बढ़ाने में इस मौजूदा परिवहन एवं पारगमन गलियारा का उपयोग करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, यह संपर्क बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) को क्रियान्वित करने के हमारे प्रयासों को समन्वित करेगा.