नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे के पास स्थित झट्टा गांव के किसानों ने अपनी भैंसो को चराने के लिए झकस को आउटसोर्स किया है। अनपढ़ झकस के पास 50 भैंसें हैं। उसे हर महीने 25 हजार रुपए मिलते हैं। झकस की तरह बिहार और यूपी के कई लोग यहां इसी काम में लगे हुए हैं।
ऐसे आया आईडिया: गांव के सोहनपाल पहलवान ने बताया कि जो लोग चरवाहों का काम कर रहे हैं, वे मुख्य रूप से NCR में फसल की बुआई और कटाई के लिए आते थे। इधर, किसानों के पास इतना समय नहीं होता है कि वे दिनभर भैंसों को चराने में लगे रहें। किसानों ने ही इन मजदूरों को यह आइडिया दिया कि वह उनकी भैंस चरा दे, बदले में प्रति भैंस 500 से 700 रुपये महीना ले लें। आइडिया हिट हुआ और अब इलाके के बदौली, गुलावली, कोंडली, काम नगर सहित अन्य गांवों में इसी तर्ज पर भैंसो की चरवाही हो रही है।
क्या करते हैं चरवाहे: गांव वालों ने बताया कि चरवाहे गांव में ही किसी के मकान में किराए पर परिवार सहित रहते हैं। सुबह 8 बजे ये घर-घर जाकर भैंसो को खोलते हैं और उसे गांव के बाहर खेतों की ओर ले जाते हैं। भैंसो को चराने के बाद वे हिंडल या यमुना नदी में नहाने ले जाते हैं। उसके बाद शाम 5 बजे वापस भैंसो को गांव ले आते हैं।