वहीं दिल्ली की सुरभि का कहना है कि जब पहली बार मेरा प्रेम पत्र मां के हाथ लगा था। आग बबूला हुई मां को पापा ने ये कहकर शांत कराया था, मैं जानता हूं मेरी बेटी मेरा विश्वास कभी नहीं तोड़ेगी। फिर मेरी तरफ मुंह करके भरोसा दिलाया था, अगर कोई है जो तुम्हें पसंद है तो तुम मुझे बता सकती हो।’
गाजियाबाद की रहने वाली सपना कहती हैं कि मां के लाख मना करने पर हजार तर्क देकर मेरे लिये पापा जब आपने स्कूटी लाकर कहा था, अब मेरी परी चलेगी नहीं अपने परों से उडेगी। मैं जानती हूं, पापा उस वक्त आपने अपने कई खर्चे रोककर मेरी यह मांग पूरी की थी।’
कानपुर की सोनम बताती हैं कि विदाई के वक्त पापा आपने डबडबाई आंखों से और आत्मविश्वास भरी आवाज से मुझसे कहा था, बेटा ये घर तुम्हारा था और हमेशा तुम्हारा ही रहेगा।’
वाकई बेटियां पापा के सबसे करीब होती हैं क्योंकि पापा के हौंसलों के पर लगाकर बेटियां उड़ान भरती हैं।