राम मंदिर निर्माण का मुद्दा एक बार फिर से गरमाने वाला है। माना जा रहा है कि भाजपा सीएम योगी के बहाने इस मसले को जोर-शोर से उठाना चाहती है। यही वजह है कि योगी का यूपी की कमान संभाने के बाद उनका दूसरा आयोध्या दौरा होने जा रहा है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के अयोध्या जाने से राम मंदिर का मामला एक बार फिर तूल पकड़ सकता है।
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मंदिर निर्माण के लिए रामनगरी अयोध्या में राजस्थान के वंशी पहाड़ से पहले ही पत्थरों की खेप आना शुरु हो चुकी थी।
बता दें कि बीते साल राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर आने पर राज्य में खूब हंगामा मचा था, उस वक्त तत्कालीन सपा सरकार ने वाणिज्य कर विभाग को पत्थर लाने की अनुमति देने से मना कर दिया था।
अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही रामनगरी में राजस्थान के वंशी पहाड़ से पत्थरों की खेप आना शुरू हो गई, तो वहीं विश्व हिंदू परिषद भी राम मंदिर के निर्माण को लेकर उत्साहित है। मालूम हो कि श्री रामजन्मभूमि न्यास की ओर से बाबरी मस्जिद/रामजन्मभूमि विवाद कोर्ट में होने के बावजूद राम मंदिर निर्माण की कवायद 1990 से चल रही है।
गर्भगृह के लिए पत्थर तराशी का काम पूरा
मंदिर निर्माण के लिए रामनगरी अयोध्या में रामसेवकपुरम् अयोध्या की कार्यशाला में मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशी का काम डेढ़ दशक से चल रहा है।
सितंबर 1990 से ही रामनगरी में पत्थर आते रहे हैं लेकिन अखिलेश सरकार ने विधिक कार्यवाही पूर्ण करने के बाद भी फार्र्म 32 पर रोक लगा दी थी जिससे पत्थरों का आपूर्ति रुक गयी थी। मगर अब विभाग से फार्म मिलने के बाद पत्थरों की आपूर्ति पुन: शुरू की गई है।
गर्भगृह के लिए पत्थर तराशी का काम पूरा
विवादित गर्भगृह पर राम मंदिर निर्माण के लिए रामघाट इलाके में 30 अगस्त 1990 को भूमि पूजन कर कार्यशाला खोली गई और उसी दिन से यहां पत्थर तराशी का काम शुरू कर दिया गया। इसी के साथ तीन कार्यशालाएं राजस्थान में शुरू की गई थीं।
राम मंदिर निर्माण के लिए अभी तक 75 हजार घनफीट पत्थरों की तराशी का काम हो चुका है, मंदिर निर्माण के लिए एक लाख 75 हजार घनफीट पत्थरों की तराशी होना है। मंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित राम मंदिर का सिंहद्वार, नृत्यमंडप, रंग मंडप, कोली गर्भगृह के लिए पत्थर तरासी का काम लगभग पूरा हो गया है।